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थोड़ी सी सतर्कता बचा सकती है बड़े हादसे से

दिल्ली में हुए भीषण अग्निकांड जैसे हादसे की पुनरावृत्ति मेरठ में न हो इसके लिए घरेलू कॉमर्शियल और औद्योगिक उपभोक्ता को सतर्क होने की जरूरत है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 09:00 AM (IST)
थोड़ी सी सतर्कता बचा सकती है बड़े हादसे से

मेरठ, जेएनएन। दिल्ली में हुए भीषण अग्निकांड जैसे हादसे की पुनरावृत्ति मेरठ में न हो, इसके लिए घरेलू, कॉमर्शियल और औद्योगिक उपभोक्ता को सतर्क होने की जरूरत है। थोड़ी-सी सतर्कता से खुद को सुरक्षित रखने के साथ ही व्यावसायिक भवनों और औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले लोगों के जीवन को भी सुरक्षित रख सकते हैं। विद्युत सुरक्षा उत्तर प्रदेश शासन मेरठ रीजन के उपनिदेशक मिथलेश कुमार का कहना है कि शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा के लिए विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने कई मानक तय किए हैं। अगर इन मानकों का पालन सभी उपभोक्ता करें तो दिल्ली जैसे हादसे से बचा जा सकता है।

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घरेलू और कॉमर्शियल उपभोक्ता के लिए ये हैं नियम

- घर या व्यावसायिक भवन में पैनल बोर्ड या विद्युत मीटर के पास ही एमसीबी (मिनिएचर सर्किट ब्रेकर) डिवाइस होनी चाहिए। इससे शॉर्ट सर्किट के दौरान या क्षमता से अधिक विद्युत प्रवाह होने पर एमसीबी बिजली के प्रवाह को कट कर देगी।

-घरेलू या कॉमर्शियल उपभोक्ता का कनेक्शन पांच किलोवाट या इससे कम है तो उसे ईएलसीबी (अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर) डिवाइस लगाना अनिवार्य है। इससे इंसूलेशन (तार पर चढ़ा प्लास्टिक) कटा होने पर दीवार या किसी उपकरण में उतरने वाले करंट से शॉर्ट सर्किट का खतरा कम हो जाता है।

-घरेलू व कॉमर्शियल उपभोक्ता इस बात का ध्यान रखें कि घर या दूकान में लगे विद्युत साकेट के तीसरे प्वाइंट को अर्थिग प्रणाली से संयोजित करना जरूरी है। इसके लिए वायरिग के दौरान अर्थ लाइन डालनी चाहिए और एक स्थान पर अर्थ पिट बना होना चाहिए।

-घर या व्यावसायिक भवन में लगे विद्युत साकेट में थ्री पिन प्लक का इस्तेमाल ही करना चाहिए। अर्थ वायरिग साकेट के तीसरे प्वाइंट से जुड़े होने पर करंट प्रवाहित होने पर वह शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। दुर्घटना का खतरा नहीं रहता है।

-घरेलू या कॉमर्शियल उपभोक्ता इस बात का भी ध्यान रखें कि वायरिग में इस्तेमाल विद्युत तार का इंसूलेशन और स्विच बटन भी आइएसआइ मार्क का हो। क्योंकि इंसूलेशन की क्षमता तय होती है। करंट के नियमित प्रवाह से इंसूलेशन का क्षरण होता है। गुणवत्ता के इंसूलेशन होंगे तो विद्युत तार जल्द खराब नहीं होगा। साथ ही घर या व्यावसायिक भवन में कॉपर वायरिग ही कराएं।

-राज्य सरकार द्वारा सक्षमता प्रमाण पत्र धारी वायरमैन से ही घर या व्यावसायिक भवन में वायरिग समेत विद्युत संबंधी कार्य कराना अनिवार्य किया गया है।

-ट्रांसफार्मर से पैनल बोर्ड तक आने वाले केबल के शॉर्ट सर्किट से बचने के लिए ट्रांसफ ार्मर के एलटी साइड पर लिंक स्विच के साथ फ्यूज लगे होने चाहिए। साथ ही टीपीएमओ (ट्रिपल पोल मैनुअली ऑपरेटेड डिवाइस) लगी होनी चाहिए। इससे शॉर्ट सर्किट होने पर तत्काल विद्युत प्रवाह रुक जाएगा और आग लगने की संभावना कम होगी।

-बड़े व्यावसायिक भवनों में इलेक्ट्रिक अग्निशमन यंत्र होने चाहिए। साथ ही बाल्टियों में बालू भरकर रखा जाना अनिवार्य है। पैनल बोर्ड के पास रबड़ का मैट बिछा होना चाहिए। सांस लेने के लिए कृत्रिम श्वसन यंत्र होने चाहिए।

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औद्योगिक इकाई के लिए ये हैं नियम

-पुराने औद्योगिक उपभोक्ताओं को तीन साल के भीतर एक बार इकाई का निरीक्षण व परीक्षण विद्युत निरीक्षक से कराना अनिवार्य है। ताकि यह प्रमाणित किया जा सके कि औद्योगिक इकाई में शॉर्ट सर्किट से बचाव के सारे मानक पूरे हैं या नहीं।

-शॉर्ट सर्किट से बचाव के लिए औद्योगिक इकाई में इलेक्ट्रिकल अग्निशमन यंत्र उचित स्थान पर लगाना अनिवार्य है। वहीं पर बाल्टियों में बालू भरकर रखना भी अनिवार्य है।

-शॉर्ट सर्किट या अन्य वजहों से औद्योगिक इकाई में आग लगने की दशा में कर्मचारियों को बचाने के लिए उन्हें सांस देने के लिए कृत्रिम श्वसन यंत्र होने चाहिए।

-औद्योगिक इकाई में कर्मचारियों को काम के दौरान रबड़ के जूते और हाथों में दास्ताने पहनना और विद्युत कंट्रोल पैनल व मशीनों के पास रबड़ की मैट बिछी होनी चाहिए।

-विद्युत कंट्रोल पैनल व मीटर के पास प्रत्येक सर्किट पर एमसीबी लगी होनी चाहिए। ताकि शॉर्ट सर्किट या अतिरिक्त करंट बढ़ने पर विद्युत प्रवाह को तत्काल ठप किया जा सके।

-कि सी भी औद्योगिक इकाई में वायरिग समेत सभी विद्युत संबंधी कार्य राज्य सरकार द्वारा नामित विद्युत ठेकेदार से ही कराया जाना अनिवार्य है।

- औद्योगिक इकाई में विद्युत संबंधी कार्य कराने से पहले तकनीकी रेखाचित्र का अनुमोदन विद्युत निरीक्षक से कराना अनिवार्य है। अनुमोदित रेखाचित्र के हिसाब से ही विद्युत संबंधी कार्य होने चाहिए।

-औद्योगिक इकाई में विद्युत संबंधी कार्य पूरे होने पर विद्युत सुरक्षा निदेशालय या विद्युत निरीक्षक की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है।

-आवेदन के बाद विद्युत निरीक्षक निरीक्षण करता है कि औद्योगिक इकाई में विद्युत सुरक्षा के सारे मानक पूरे किए गए हैं या नहीं। निरीक्षण में सही पाए जाने पर ही औद्योगिक इकाई में बिजली दौड़ाने की अनुमति दी जाती है।

मानकों का पालन नहीं कर रहीं औद्योगिक इकाइयां

विद्युत सुरक्षा उत्तर प्रदेश शासन मेरठ रीजन के उपनिदेशक मिथलेश कुमार ने कहा कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और नगरीय विद्युत वितरण मंडल के अधिकारियों को देखना चाहिए कि पोल पर विद्युत तारों का मकड़जाल क्यों है और अभियान चलाकर विद्युत तारों के इंसूलेशन की क्षमता का परीक्षण करना चाहिए। लेकिन इसमें लापरवाही बरती जा रही है। जिससे जर्जर तारों से शॉर्ट सर्किट आए दिन होती है। इससे जनहानि हो रही है। विक्टोरिया पार्क जैसे अग्निकांड मेरठ में हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि औद्योगिक इकाइयां तीन साल में निर्धारित परीक्षण भी नहीं कराती हैं। केवल सिनेमा घर इसका पालन कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें हर साल डीएम से एनओसी प्राप्त करनी होती है।


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