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होम आइसोलेशन में हैं तो रखें इन बातों का ध्‍यान, लापरवाही पर 90 मरीज सीधे ICU पहुंचे Meerut News

कोरोना संक्रमण हैं तो होम आइसोलशन लेने में कोई तथ्य न छुपाएं। लापरवाही न बरतें वरना भुगतना होगा। मेरठ में होम आइसोलेशन में हालत बिगडऩे पर प्रशासन ने करीब 90 लोगों को सीधे आइसीयू में पहुंचाया है सभी में आक्सीजन की कमी मिली।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 10:30 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 10:30 AM (IST)
होम आइसोलेशन में हैं तो रखें इन बातों का ध्‍यान, लापरवाही पर 90 मरीज सीधे ICU पहुंचे Meerut News
होम आइसोलशन के दौरान पूरी पूरी सावधानी बरतनी जरूरी है।

मेरठ, जेएनएन। कोरोना पॉजिटिव हैं तो होम आइसोलशन लेने में कोई तथ्य न छुपाएं। लापरवाही न बरतें, वरना स्थिति गंभीर हो सकती है। होम आइसोलेशन में हालत बिगडऩे पर प्रशासन ने करीब 90 लोगों को सीधे आइसीयू में पहुंचाया है, सभी में आक्सीजन की कमी मिली। नोडल अधिकारी पी. गुरुप्रसाद ने इसे बेहद गंभीर बताते हुए होम हाइसोलेशन वाले मरीजों की सजग निगरानी के लिए कहा है। हृदयविकार, मधुमेह, रक्तचाप व किडनी रोग वाले मरीजों को आइसोलेशन में रखने से बचने का सुझाव दिया।

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जांच से डर रहे, इसीलिए नहीं टूटी चेन

नोडल अधिकारी पी. गुरुप्रसाद व अरुण प्रकाश ने मेरठ में कोविड मरीजों की रिपोर्ट का विश्लेषण किया। पता चला कि होम आइसोलेशन में रखे गए 567 मरीजों में 90 की तबीयत बिगड़ी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इन मरीजों को एल-3 केंद्रों के आइसीयू वार्ड में पहुंचाया। विशेषज्ञों ने बताया कि जिले में बड़ी संख्या में कोरोना मरीज जांच से बचते हुए घर पर इलाज ले रहे हैं। इससे मौतों की दर कम नहीं हो पा रही। तबीयत बिगडऩे पर ऐसे मरीज निजी अस्पताल गए, वहां कई दिन इलाज चला। बाद में कोविड पॉजिटिव आने पर देर से मेडिकल कालेज भेजा गया। इसके बाद उपचार के लिए कुछ बचा ही नहीं था।

फेफड़े को नाकाम कर देता है वायरस

कोविड-19 संक्रामक और खतरनाक बीमारी है। वायरस पांच से सात दिनों में गले से फेफड़े में पहुंचकर अंगों को तेजी से अपनी चपेट में लेता है। प्रतिरोधक क्षमता अचानक सक्रिय होने से साइटोकाइन स्टार्म बनता है। इससे गुर्दा व फेफड़ा फेल हो जाते हैं। फेफड़े में आक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड का आदान प्रदान नहीं हो पाता। गहरा निमोनिया होने से मरीजों की जान जा सकती है। रक्त में गाढ़ापन बढ़ता है। कई कोविड मरीजों में रक्त का थक्का देखा जा रहा है। इससे हार्ट एवं ब्रेन स्ट्रोक से कई मरीजों की जान गई। कोरोना मरीजों को खांसी आने पर तत्काल अलर्ट हो जाना चाहिए। सांस फूलने पर तत्काल भर्ती होना चाहिए।

क्या कहते हैं सीएमओ

प्रशासन की टीम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों से नियमित संपर्क में रहती है। आक्सीजन सेचुरेशन 94 फीसद से नीचे आने, सांस फूलने, घबराहट और अन्य लक्षणों पर मरीज को स्वयं भी संपर्क करना चाहिए। 90 मरीजों को होम आइसोलेशन से सीधे आइसीयू में भर्ती करना पड़ा। ऐसे में कुछ भी छुपाएं नहीं, बताने और जांच कराने से बीमारी दूर होगी। घबराएं नहीं, कई दवाएं कारगर साबित हो रही हैं।

- डा. राजकुमार, सीएमओ

हृदयरोगी भी हैं तो होम आइसोलेशन में ये सावधानी अवश्य बरतें

हृदयरोगियों को होम आइसोलेशन में रहने पर डाक्टरों के परामर्श से दवाओं का सेवन नियमित करते रहना चाहिए। एक शोध के मुताबिक हृदय संबंधी मरीजों की कोविड से मौत का खतरा अन्य रोगों के मुकाबले 11 गुना ज्यादा है। यह वायरस हृदय की मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। पल्स आक्सीटर से रोजाना तीन बार आक्सीजन लेवल नापेंं। हृदय की पंपिंग कम है तो पानी का सेवन कम करें। एंटी आक्सीडेंट का सेवन करें। फल, सब्जियों के अलावा हल्दी, दालचीनी, आंवला भी खाएं। अपने संपर्क के डाक्टर से दवाओं को एडजस्ट कराएं। कोविड मरीजों में थक्के बनने से हृदय व दिमाग स्ट्रोक का खतरा है। कोरोना ठीक होने के बाद भी हृदय पर खतरा देखा जा रहा है।

- डा. राजीव अग्रवाल, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ।

होम आइसोलेशन के साथ मधुमेह व रक्तचाप के मरीज भी हैं तो यह करें

मधुमेह व रक्तचाप के मरीजों को कोविड पॉजिटिव होने पर अपने डाक्टर से फोन पर संपर्क करना चाहिए। भूख कम होने और स्वाद न मिलने से खाना कम हो जाता है। ऐसे में डाक्टर की सलाह से मधुमेह व रक्तचाप की दवा आधी लेनी चाहिए। ठंडा पानी, दही, खट्टी चीजें, जूस न लें। पॉजिटिव आने के चौथे दिन छाती का एक्स-रे और सीटी जांच कराएं। दिन में दो बार मधुमेह की जांच करते रहें। आक्सीजन भी जांचें। गुनगुना पानी पीते रहें। बंद कमरों या ऐसे कमरों में ज्यादा देर न रहें, जहां हवा बाहर नहीं निकल पाती है। संक्रमण के करीब दस दिन बाद सी रिएक्टिव प्रोटीन के स्तर में सुधार होने पर होम आइसोलेशन से बाहर आने के लिए स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करें।

- डा. तनुराज सिरोही, वरिष्ठ फिजिशियन।


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