36 प्रतिबंधों के साथ कैंट में पकड़े जाएंगे बंदर
कैंट क्षेत्र के सिविल व आर्मी एरिया में उत्पात मचाने वाले बंदरों को पकड़ने के लिए कैंट बोर्ड को वन विभाग से अनुमति मिल गई है लेकिन यह अनुमति एक दो नहीं पूरे 36 कडे़ प्रतिबंध के साथ मिली है।
मेरठ । कैंट क्षेत्र के सिविल व आर्मी एरिया में उत्पात मचाने वाले बंदरों को पकड़ने के लिए कैंट बोर्ड को वन विभाग से अनुमति मिल गई है, लेकिन यह अनुमति एक दो नहीं पूरे 36 कडे़ प्रतिबंध के साथ मिली है। इनमें से वन विभाग के कई प्रतिबंध ऐसे हैं, जिनका कैंट बोर्ड के अधिकारी शायद ही पालन कर पाएंगे। यदि वह पालन नहीं कर पाएंगे तो उनको दी गई अनुमति निरस्त कर दी जाएगी।
कैंट क्षेत्र के सिविल एवं आर्मी एरिया में उत्पाती बंदरों के आतंक की लगातार शिकायतें कैंट बोर्ड को मिल रही हैं। लोगों की शिकायतों के मद्देनजर उन्हें पकड़वाने के लिए मुख्य अधिशासी अधिकारी छावनी परिषद ने गत 30 अप्रैल-19 को प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग को एक अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पत्र लिखा था।
उसका जवाब भी गत आठ मई को भेज दिया है। उन्होंने पत्र में पहले तो यह स्पष्ट कर दिया है कि बंदरों को पकड़वाए जाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र दिए जाने का प्राविधान वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 में नहीं है, लेकिन लोगों की शिकायतों को देखते हुए प्रभागीय निदेशक ने कुल 36 प्रतिबंधों के साथ में कैंट के उत्पाती बंदरों को पकड़ने के लिए अनुमति दी है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि इन प्रतिबंधों का उनके द्वारा उल्लंघन किया जाता है तो अनुमति को भी निरस्त कर दिया जाएगा।
पकड़ने के बाद हस्तिनापुर छोड़ने होंगे
कैंट बोर्ड यदि सिविल व आर्मी एरिया में बंदरों को पकड़वाता है तो उन्हें हस्तिनापुर वन्य जीव विहार के तहत खक्कड़ पीर, झब्बापुरी (मध्य गंगा नहर पटरी मार्ग से) एवं हस्तिनापुर में भद्रकाली मंदिर के पास आरक्षित वन में सुरक्षित रूप से छुड़वाना होगा। साथ ही उसमें आने वाला खर्च भी देना होगा। बंदरों को पकड़ने के बाद वहां छुड़वाने में कैंट बोर्ड को भी कोई परेशानी नहीं होगी।
बंदरों के तनाव का भी रखना होगा ध्यान
बंदरों को पकड़ते समय उसके समूह के सभी सदस्यों को पकड़ना होगा। एक क्षेत्र के बंदरों को दूसरे क्षेत्र के बंदरों के साथ नहीं मिलाया जाएगा। ऐसा उन्हें रोगों के संक्रमण से बचाने के लिए करना होगा। बंदरों को पकड़ने के उपरांत उन्हें एकत्र करके रखने वाले स्थान का चयन इस हिसाब से किया जाएगा कि उन्हें कम से कम दूरी तय करनी पड़े। साथ ही पकड़े गए बंदरों को तनाव कम हो।
पशु चिकित्साधिकारी को देना होगा प्रमाणपत्र
बंदरों को ले जाने के दौरान सक्षम पशु चिकित्साधिकारी को यह प्रमाण पत्र देना होगा कि बंदरों में किसी भी प्रकार के रोग अथवा संक्रमण के लक्षण नहीं है। साथ ही वह स्वस्थ्य हैं एवं जाने के लिए तैयार हैं। उन्हें ले जाने के दौरान इस बात का ख्याल रखना होगा कि बंदरों को ज्यादा ठंड अथवा गर्मी न लगे। यदि ले जाने के दौरान किसी बंदर की मृत्यु हो जाती है तो उसे अन्य बंदरों के साथ से हटाना होगा।
केंद्र सरकार से लेनी होगी अनुमति
ऐसे बंदर जो अपनी मां पर निर्भर हैं। साथ ही 1.8 किलोग्राम से कम वजन के हैं, उन्हें बिना केंद्र सरकार की अनुमति के नहीं ले जाया जाएगा। साथ ही गर्भवती तथा दूध पिला रही मादा बंदर को भी बिना केंद्र सरकार की अनुमति के पकड़कर नहीं ले जा सकेंगे। गर्भवती मादा बंदर तथा ऐसे बंदर जिनका वजन पांच किलोग्राम से अधिक है, उन्हें कम्पार्टमेंट पिंजड़ों में स्थानांतरित करना होगा। यही नहीं उन्हें ले जाने के दौरान बिना निगरानी के नहीं छोड़ा जाएगा।
सूर्योदय से पूर्व एवं बाद में नहीं ले जा सकेंगे
बंदरों को पकड़कर ले जाने के लिए यह भी प्रतिबंध है कि उन्हें सूर्योदय से पहले एवं सूर्यास्त के बाद पकड़कर नहीं ले जाया जा सकेगा। उन्हें पकड़ने के दौरान यदि कोई बंदर सुस्त नजर आता है तो उसे शीघ्र अलग कर उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराना होगा।
घायल व बीमार नहीं पकड़ सकेंगे
बीमार, घायल अथवा परजीवी से प्रभावित बंदरों को पकड़कर नहीं ले जाया जाएगा। साथ ही यदि इस दौरान कोई कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है तो उसकी जिम्मेदारी भी छावनी परिषद की होगी।