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भ्रष्‍टाचार : किसान प्रशिक्षण के नाम पर 33 लाख का गबन, धनराशि का अधिकारियों ने आपस में कर लिया बंटवारा

भारतीय कृषि अनुसंधान से जारी धनराशि का अधिकारियों ने आपस में बटवारा कर लिया। आरटीआइ में मिली जानकारी से इस घोटाने का राजफाश हो गया।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 10:41 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 10:41 PM (IST)
भ्रष्‍टाचार : किसान प्रशिक्षण के नाम पर 33 लाख का गबन, धनराशि का अधिकारियों ने आपस में कर लिया बंटवारा
भ्रष्‍टाचार : किसान प्रशिक्षण के नाम पर 33 लाख का गबन, धनराशि का अधिकारियों ने आपस में कर लिया बंटवारा

बुलंदशहर, जेएनएन। पांच वर्षों से संचालित पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना के नाम पर कुछ अधिकारियों ने जमकर खेल किया। योजना के तहत जिले में प्रशिक्षण संस्थान खोला और सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षण भी दिया गया। उधर, केंद्र सरकार ने किसानों के लिए 33 लाख का बजट भी जारी किया, लेकिन जारी बजट किसानों को नहीं मिला। आरटीआइ में इसका राजफाश किया गया।

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना के अंतर्गत किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण देना था। इसके लिए बीबीनगर क्षेत्र के गांव निसुर्खा में जागरूक किसान संजीव शर्मा को चयनित किया गया। एक वर्ष में तीन दिवसीय पांच प्रशिक्षण 30-30 किसानों को देना शुरू किया। किसान संजीव शर्मा का आरोप है कि 2016 में मेरठ की सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक्टेंशन निदेशक को योजना का नोडल प्रभारी बनाया गया, जबकि, 2017 में आरएआइआर पूसा के कैडेट्स विभाग के अध्यक्ष जेपी डबास को पांच जिलों का नोडल अधिकारी बनाया गया। जेपी डबास ने एक कृषि वैज्ञानिक को बुलंदशहर की जिम्मेदारी सौंपी।

किसानों आरटीआई डाली तो खुला राज

संजीव शर्मा ने बताया कि एक लाख रुपये प्रति प्रशिक्षण के लिए जाने थे, लेकिन धनराशि किसान को नहीं दी गई। किसान ने बजट को लेकर आरटीआइ के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान दिल्ली से जानकारी मांगी। आरटीआइ के जवाब में प्रधान वैज्ञानिक एवं केंद्रीय जन सूचना एवं कृषि शिक्षा अधिकारी नीरज राणा ने बताया कि 2017-18 के दौरान प्रशिक्षण के लिए 33 लाख रुपये कृषि शिक्षा विभाग द्वारा उत्तर जोन के इंजार्च को दो किस्तों में आवंटित किए गए हैं। इसके बाद यह राशि जोन इंचार्ज द्वारा ट्रेनिंग सेंटर्स को आवंटित की जाती है। सेंटर संचालक संजीव शर्मा का आरोप है उन्हें प्रशिक्षण के नाम पर कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है।

इनका कहना है...

मंडल में पांच प्रशिक्षण केंद्र जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए खोले गए थे। जिन केंद्रों बिल नहीं मिले हैं उन्हें भुगतान नहीं किया गया है। निसुर्खा केंद्र संचालक बिल दें और भुगतान ले लें, इसमें कोई देरी नहीं होगी। - डा. नफीस अहमद, नोडल अधिकारी, कृषि शिक्षा। 


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