शहरभर में मनाई आदि शंकराचार्य की 2526 वीं जयंती
आदि शंकराचार्यजी की 2526 वीं जयंती शहर भर में श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। तेजस्वी शंकराचार्य सेवा समिति के तत्वावधान में गुरुवार को माधवपुरम स्थित म
मेरठ । आदि शंकराचार्यजी की 2526 वीं जयंती शहर भर में श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। तेजस्वी शंकराचार्य सेवा समिति के तत्वावधान में गुरुवार को माधवपुरम स्थित मुख्यालय पर संतों का पाद प्रक्षालन और आरती उतारी गई।
समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एसके शर्मा ने संत ललितानंद तीर्थ, ब्रह्माचारी इंद्रस्वरूप, स्वामी दुर्वासाश्रम, स्वामी विद्यास्वरूप व गोपालजी महाराज आदि संतों ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने वैदिक धर्म को भारत में पुर्नस्थापित किया था। कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश में चार पीठ स्थापित की। ललिताश्रम तीर्थ ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने बाल्यावस्था में ही संन्यास लेकर भारत भर में भ्रमण किया। आदि शंकराचार्य 32 केदारनाथ में वर्ष की आयु में अपने मूल स्वरूप में समा गए थे। कहा कि उन्होंने अपने शास्त्रार्थ से बड़े-बड़े विद्वानों को पराजित किया था। आज वैदिक धर्म जिस स्वरूप में है। उसका बहुत बड़ा श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है। संचालन धर्मपाल गुप्ता ने किया। संस्था के सदस्य-पदाधिकारी जयराम स्वरूप, रूपेंद्र प्रजापति, ब्रजमोहन, गिरीश मोहन वर्मा, मनोज, अंकुर कौशिक, राधे सूर्यवंशी, मधु गोयल व डॉ. मीनाक्षी आदि मौजूद रहे। आदि जगद्गुरु मंडल ने मनाई आदि शंकराचार्य की जयंती
आदि शंकराचार्य की 2526 वीं जयंती गुरुवार को सराय लाल दास स्थित पंचमुखी महादेव मंदिर में संतों ने श्रद्धाभाव से मनाई। इसमें मंहत कृष्णस्वरूप महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य के कारण आज का वैदिक धर्म इस रूप में है। सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की पीठाधीश्वर गुरुमां नीलिमानंद महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठ स्थापित कर हिदू धर्म को पुर्नजीवित किया था। ब्रजघाट से पधारे दंडी स्वामी और समस्त भक्तों ने आदि शंकराचार्य की आरती उतारी। इसके बाद भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान ज्योतिषविद् मदन मोहन, उमेश भारद्वाज, मुक्ता चौधरी व आनंद मलिक आदि मौजूद रहे। उधर, गढ़ रोड स्थित राज-राजेश्वरी मंदिर में सुबह यज्ञ किया गया। मंहत ने आदि शंकराचार्य की आरती उतारी। भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
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