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दो-चार नहीं, मतदान से वंचित रह गए 20 हजार

11 अप्रैल को मतदान के दौरान दिनभर बूथ दर बूथ धक्के खाकर अपना नाम तलाशते रहे। मतदाता सूची से नाम गायब हो जाने की समस्या हर चुनाव में सामने आती है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 11:02 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 11:02 AM (IST)
दो-चार नहीं, मतदान से वंचित रह गए 20 हजार
दो-चार नहीं, मतदान से वंचित रह गए 20 हजार

मेरठ, [अनुज शर्मा]। लोकसभा चुनाव 2019 में वोट कट जाने से बड़ी संख्या में मतदाता मतदान से वंचित रह गए। सूची से नाम गायब हो जाने के चलते 20 हजार से ज्यादा मतदाता 11 अप्रैल को मतदान के दौरान दिनभर बूथ दर बूथ धक्के खाकर अपना नाम तलाशते रहे। मतदाता सूची से नाम गायब हो जाने की समस्या हर चुनाव में सामने आती है। जिला प्रशासन इसकी वजह मतदाता की लापरवाही को बताता है, जबकि मतदाता जिला प्रशासन को। हालांकि मतदाता सूची में नाम शामिल करने और हटाने का अधिकार पूर्ण रूप से प्रशासनिक अफसरों को ही होता है। मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए संबंधित बूथ लेवल अफसर (बीएलओ) फार्म 7 पर रिपोर्ट लगाता है, जिसके आधार पर संबंधित विधानसभा के सहायक निर्वाचन अधिकारी नाम काटने के आदेश जारी करते हैं।
पहले चरण में काट दिए 38,474 नाम
मेरठ जनपद की सात विधानसभाओं की मतदाता सूची का प्रथम चरण का पुनरीक्षण एक सितंबर से 30 नवंबर तक कुल तीन महीने चला। इस दौरान 1,10,089 (1.10 लाख) नये मतदाताओं के नाम जोड़े गए, लेकिन 38,474 के नाम हटा दिए गए। पुनरीक्षण के बाद 31 जनवरी को जिला प्रशासन ने पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी की, जिसमें बड़ी संख्या में वोटर के नाम कटते ही हंगामा मच गया।
डेढ़ महीने में 18,436 ने करा लिया सुधार
जो लोग जागरूक थे उन्होंने मतदाता सूची चेक करके अपना नाम कट जाने की जानकारी समय से प्राप्त कर ली। इसके बाद उन्होंने नाम जुड़वाने के लिए फार्म 06 भरकर दे दिया। एक फरवरी से 15 मार्च के बीच 18,436 लोगों ने फिर से नाम जुड़वा लिए, लेकिन नाम कट जाने से अनजान 20,338 लोग जब बूथ पर वोट डालने पहुंचे तो उन्हें मायूसी का सामना करना पड़ा।
आखिर कैसे और क्यों कटता है वोट

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  • मतदाता सूची में नाम शामिल कराना और हटवाना बीएलओ की रिपोर्ट पर निर्भर करता है। बीएलओ घर-घर न जाकर मनमाना सर्वे कर लेता है।
  • स्थाई रूप से बाहर शिफ्ट हो जाने वाले, लड़की की शादी के बाद तथा मृतकों के नाम मतदाता सूची से काटे जाते हैं।
  • राजनीतिक दलों से जुड़े लोग अपने हित के मुताबिक बीएलओ को जानकारी देते हैं, जिस कारण उनके नाम भी कट जाते हैं, जो नहीं कटने चाहिए।
  • मतदाता भी पुनरीक्षण की अवधि में जागरूक नहीं रहते, जिस कारण कोई भी मनमानी करा देता है।

नाम कटने पर क्या करें मतदाता

  1. यदि नाम गलत काटा गया है तो इसकी शिकायत संबंधित विधानसभा के सहायक निर्वाचन अधिकारी से लिखित में की जा सकती है।
  2. सहायक निर्वाचन अधिकारी फार्म 7 में बीएलओ की रिपोर्ट में नाम काटने के कारण की जांच करेगा। यदि शिकायत सही मिलती है तो बीएलओ पर कार्रवाई होगी।
  3. एक बार मतदाता सूची से नाम हट जाता है तो उसे फिर से जुड़वाने के लिए मतदाता को फार्म 6 भरना होगा।

बीएलओ की मनमानी ने खड़ा किया संकट
बड़ी संख्या में वोट कटने की समस्या का मुख्य कारण बीएलओ की कार्यशैली रही। दरअसल बीएलओ को पुनरीक्षण के दौरान कुछ तिथियों में बूथ पर बैठना होता है, जबकि अन्य दिनों में मतदाताओं के घर पहुंचकर सत्यापन करना होता है। अधिकतर बीएलओ ने ऐसा नहीं किया। आरोप है कि उन्होंने क्षेत्र के कुछ लोगों से बात करके मतदाता सूची में नाम शामिल किए और हटा दिए। जानकारी देने वालों के राजनीतिक हित समस्या को बढ़ा देते हैं।
इन्‍होंने बताया
शहरों में मतदाता सूची से नाम कटने की समस्या अधिक आती है। बीएलओ को घर-घर जाना होता है। वह लापरवाही करता है। जनता भी जागरूक नहीं होती। मतदान के दिन पीठासीन अधिकारी केवल उसी व्यक्ति का मतदान करा सकता है जिसका नाम नवीनतम मतदाता सूची में दर्ज है। मतदाता नाम कट जाने की शिकायत कर सकता है, जिसकी जांच करके कार्रवाई की जाती है। फिर से नाम जुड़वाने के लिए व्यक्ति को फार्म 6 भरकर देना होगा।
- अनिल ढींगरा, जिला निर्वाचन अधिकारी 


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