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जानिए कैसे आपके फेफड़ों में पहुंच रहा है रोजाना 15 सिगरेट का धुआं Meerut News

कोल्हू में जहां शुद्ध ईंधन जलाकर गुड़ बनाया जाता था अब उन कोल्हू की भट्ठी में प्लास्टिक और पॉलीथिन जलाया जा रहा है। दूषित प्रदूषण से लोगों का फिट रहना हुआ दूर।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 11:44 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 11:44 AM (IST)
जानिए कैसे आपके फेफड़ों में पहुंच रहा है रोजाना 15 सिगरेट का धुआं Meerut News
जानिए कैसे आपके फेफड़ों में पहुंच रहा है रोजाना 15 सिगरेट का धुआं Meerut News

मेरठ, जेएनएन। गैस चेंबर में तब्दील होते शहर का नसीब सुधरता नजर नहीं आ रहा। अक्टूबर ढलने के साथ ही धुंध चढ़ने लगी है। हवा में पीएम-2.5 की मात्र मानक से चार गुना तक पहुंच गई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है कि मेरठ वालों के फेफड़े में रोजाना 15-20 सिगरेट पीने के बराबर धुआं पहुंच रहा है। अस्थमा के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है, जबकि सीओपीडी के मरीज हांफने लगे हैं। हार्ट के मरीजों को भी सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है।

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हवा की गुणवत्ता बेहद खराब

मेरठ में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब मिल रही है। गाजियाबाद में एक स्टेशन छोड़ दें तो सभी स्थानों पर मेरठ से कम प्रदूषण मिला है। विशेषज्ञों की मानें तो मेरठ के आसपास बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन कारोबार की वजह से धूल के कणों का बादल घना हो रहा है। मेरठ की भौगोलिक स्थिति भी ऐसी है कि जहां धुंध अटक जाती है। गांव का तापमान शहर से कम होने की वजह से हरियाली के बीच प्रदूषित कण फंस जाते हैं। हापुड़, अमरोहा, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर एवं आसपास के जिलों के औद्योगिक कारोबार ने भी मेरठ की हवा खराब की है। जिले के आसपास हाइवे और पुल निर्माण की वजह से सड़कों में गढ्ढे हैं, जिससे धूल ज्यादा उठ रही है।

औद्योगिक चिमनियों की ऊंचाई कम है, जबकि ज्यादातर जनरेटरों में कैनोपी न होने से बड़ी मात्र में कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, मोनोआक्साइड समेत कई गैसें व गर्म हवा निकलती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि पीएम-2.5 की मात्र अगर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होने पर रोजाना 15-20 सिगरेट पीने के बराबर प्रदूषण फेफड़े में पहुंचेगा।

कोल्हू संचालक कबाड़ियों से खरीदते हैं ‘जहर’

मुनाफाखोर कोल्हू संचालक अपनी जेब भरने के चक्कर में लोगों के जीवन से खेल रहे हैं। कोल्हू में जहां शुद्ध ईंधन जलाकर गुड़ बनाया जाता था, अब उन कोल्हू की भट्ठी में प्लास्टिक और पॉलीथिन जलाया जा रहा है। दूषित प्रदूषण से लोगों का फिट रहना तो दूर, वह बीमारियों की गिरफ्त में जा रहे हैं।

इंचौली के अलावा जिले में अधिकांश कोल्हुओं की भट्ठी में दूषित ईंधन जलाया जा रहा है। कोल्हू संचालक 500 रुपये कुंतल वाले शुद्ध ईंधन के बजाय 200 रुपये कुंतल वाला दूषित ईंधन जैसे प्लास्टिक व पॉलीथिन, कपड़ा आदि को कोल्हू की भट्ठी में झोंक रहे हैं। यह सारा दूषित ईंधन एनसीआर क्षेत्र के करीब 15 जिलों के कबाड़ियों से खरीदा जा रहा है। यहां अधिकांश लोग खांसी से परेशान हैं। पल्लवपुरम स्थित क्षेत्रीय प्रदूषण कार्यालय दूषित ईंधन जब्त कर रहा है। शुद्ध वायु को बनाए रखने के लिए प्रदूषण विभाग कार्रवाई भी कर रहा है, मगर टीम को युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।

सर्दी में चालू होते हैं कोल्हू, गर्मी में देते हैं दूषित ईंधन का ऑर्डर

सूत्रों की मानें तो हर साल सर्दी की शुरुआत होने से पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्हू को चालू कर देते हैं। ऐसे में सस्ते और तेजी से आग पकड़ने वाले प्लास्टिक और पॉलीथिन को कोल्हू की भट्ठी में जलाने के लिए पूरे सीजन कई टन दूषित ईंधन की जरूरत होती है। जिसके लिए कोल्हू संचालक गर्मी के मौसम में ही दूषित ईंधन का ऑर्डर एनसीआर क्षेत्र के बड़े कबाड़ियों को दे देते हैं।

इन्‍होंने बताया

वायु प्रदूषण लोगों में दबी पड़ी अस्थमा को उभार देता है। हवा में अस्थमा के टिगर्स होते हैं। ये ज्यादातर जवानी में होती है। पीएम 2.5 ज्यादा होने पर सीओपीडी के मरीजों में अचानक बलगम बढ़ता है। सांस का दौरा पड़ सकता है। मास्क पहनकर बाहर निकलें।

- डा. संतोष मित्तल, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कालेज

तापमान गिरने के साथ ही सूक्ष्म कणों की मात्र हवा में बढ़ती है। एलर्जिक रानाइटिस और साइनोसाइटिस के मरीज बढ़ गए हैं। पीएम-2.5 की ज्यादा मात्र से अस्थमा का दौरा तक पड़ सकता है। प्रदूषित स्थानों पर मास्क पहनकर जाएं। फेफड़ों की ताकत बढ़ाने के लिए प्राणायाम, योग व एक्सरसाइज करें।

-डा. तुषार त्यागी, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ

औद्योगिक इकाइयां वायु प्रदूषण से बचने के लिए मानकों का पालन करेंगी। कचरा आसपास न जलाएं। औद्योगिक चिमनियों की ऊंचाई ऐसी हो कि प्रदूषण सांस में न पहुंचे। धुंध की वजह से बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ने से श्रम संकट खड़ा होता है।

- अनुराग अग्रवाल, मंडलीय अध्यक्ष, आइआइए

अब तक की सूचना के आधार पर कोल्हू संचालक कबाड़ी और पिन्नी बीनने वालों से दूषित ईंधन खरीद रहे हैं। सभी तरह की रिपोर्ट तैयार की जा रही हैं। लगातार छापेमारी हो रही है। अन्य दिनों में भी दूषित ईंधन जलाने वाले कोल्हू और इंडस्ट्रीज पर भी कड़ी कार्रवाई कर मुकदमा दर्ज भी कराया जाएगा।

- आरके त्यागी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मेरठ-बागपत

असम के पन्नी बीनने वालों से भी खरीदते हैं दूषित ईंधन

कोल्हू संचालक सस्ता दूषित ईंधन कबाड़ियों के अलावा असम से आकर वेस्ट यूपी में पिन्नी बीनने का काम करने वाले मजदूरों से भी दूषित ईंधन खरीदते हैं। कबाड़ी से खरीदे गए दूषित ईंधन के रेट के मुकाबले पिन्नी बीनने वाले मजदूर आधा रेट में ही बेच देते हैं। जिसके बदले कोल्हू संचालक दूषित ईंधन की कीमत के अलावा समय-समय पर छोटे गिफ्ट पैक भी उपहार स्वरूप देते हैं। 


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