10 सेकेंड, तीन मौत और पसर गया सन्नाटा
एक-दूसरे को बचाने के प्रयास में तीनों दोस्तों ने गवां दी जान। काफी समय से एक साथ मीट प्लांटों में सफाई करते थे तीनों।
मेरठ (प्रमोद त्यागी)। कुछ मिनट पहले ही तीनों ने एक साथ खाना खाया। वह थक चुके थे, लेकिन टैंक सफाई करने का दबाव उन्हें मौत के मुहाने तक खींच ले गया। 10 सेकेंड में तीन बार प्लांट युवकों की पुकार से गूंजा और फिर मौत का सन्नाटा पसर गया। एक-दूसरे को बचाने के प्रयास में तीनों दोस्त मौत के टैंक में समां गए।
प्रत्यक्षदर्शी सतवीर के मुताबिक, गुड्डू, योगेंद्र और अजय के बीच गहरा दोस्ताना था। वह पहली बार तीनों युवकों के साथ प्लांट में टैंक सफाई के लिए पहुंचा था। चारों ने कई घंटों की मशक्कत के बाद एक टैंक साफ कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने खाना खाया और चक्कर आने के बाद तीनों ने दूसरे टैंक की सफाई से इन्कार कर दिया, लेकिन प्लांट मैनेजर का दबाव था कि दोनों टैंक की सफाई के बाद वह नहीं जा सकते। आरोप है, प्लांट का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया। लगभग साढ़े चार बजे थे। टैंक में चारों ने मिलकर सीढ़ी लगाई और सबसे पहले गुड्डू उसमें उतर गया। करीब 15 फुट जाते ही वह चक्कर खाकर नीचे गिर गया। अपने दोस्त को बचाने के लिए बगैर किसी परवाह के योगेंद्र और अजय भी कूद पड़े, परंतु इसके बाद तीनों टैंक से बाहर नहीं आ सके। करीब 10 सेकेंड के अंतराल में तीनों ने बचाव के लिए पुकार भी लगाई। कोई बंदोबस्त नहीं होने के कारण उन्हें नहीं बचाया गया और प्लांट में सन्नाटा पसर गया। कर्मचारियों को पता था, वहां मौत है
प्लांट कर्मचारियों को पता था कि टैंक के अंदर तीव्र गैस है, जिससे मौत हो सकती है, परंतु किसी ने भी मजदूरों को नहीं बताया। यदि बता दिया होता तो उनकी जान बच सकती थी। आर्थिक तंगी ले डूबी जिंदगी
तीनों ही दोस्तों के परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। गुड्डू और योगेंद्र अविवाहित थे, जबकि अजय शादीशुदा है। अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए तीनों साफ-सफाई करते थे। टैंक सफाई का उन्होंने अतिरिक्त ठेका लिया था, लेकिन उन्हें आभास नहीं था कि यह काम खतरे का है।