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मौसम का तेवर बदला, दलहन एवं तिलहन की निगरानी जरूरी

जागरण संवाददाता घोसी (मऊ) मौसम का बदला मिजाज अभी तक जस का तस बना हुआ है। इन दिनों सरस

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 08:20 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 08:20 PM (IST)
मौसम का तेवर बदला, दलहन एवं तिलहन की निगरानी जरूरी
मौसम का तेवर बदला, दलहन एवं तिलहन की निगरानी जरूरी

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : मौसम का बदला मिजाज अभी तक जस का तस बना हुआ है। इन दिनों सरसों में लाही या माहू का हल्का असर दिखने लगा है हालांकि अभी नुकसान की स्थिति नहीं दिख रही है। ओला पड़ने, बरसात होने, तेज हवा चलने, कई दिनों तक अनवरत बदली छाए रहने, धूप न निकलने या अधिक कोहरा पड़ने से आद्रता में वृद्धि के कारण दलहन एवं तिलहन की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव अधिक होने की आशंका है। कृषि विशेषज्ञ मौसम के बदलते तेवर का हवाला देते हुए बता रहे हैं कि दलहन एवं तिलहन की फसल के साथ ही आलू की फसलों पर विशेष ध्यान आवश्यक है।

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जनपद में 90.411 हजार हेक्टेयर में गेहूं, 826 हेक्टेयर में जौ एवं इतने ही क्षेत्रफल में मसूर की खेती है। चना 861 हेक्टेयर, मटर 1935 एवं तिलहन 1114 हेक्टेयर में बोई गई है। तापमान में आई गिरावट एवं कोहरा गेहूं की प्रत्येक प्रजाति की फसल के लिए मुफीद है। हालांकि सरसों में लाही का प्रभाव दिखने की आशंका है। अभी तक जिले में मौसम के चलते फसलों को क्षति नहीं हुई है पर किसान खेतों में लगी दलहन एवं तिलहन के साथ ही आलू की फसलों की निगरानी करते रहें। यदि मौसम का रूख आगे भी ऐसा ही रहा या कई दिनों तक सूरज नहीं निकला या ओले पड़े तो क्षति संभावित है। दरअसल तापमान गिरते ही वातावरण में विद्यमान लाही कीट अंडा देने लगते हैं। अंडों के गुणात्मक स्फुटन के चलते कीटों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है। सरसों की फलियों एवं फूलों को लाही कीट गुच्छे के रूप में ढंक लेते हैं। ऐसे में न फूल में फल लगते हैं न दाने पड़ते हैं। कई दिनों तक धूप न निकलने से मटर के फूलों का विकास रूक जाता है एवं दाने सुडौल नहीं होते हैं। कृषि विभाग के अनुसार यदि आलू की पत्ती में धब्बा और छल्ला बनता है तो यह अर्ली ब्लाइट पोटैटो एवं यदि किनारे से पत्ती सिकुड़ती है तो लेट ब्लाइट पोटैटो या झुलसा रोग का प्रकोप है।

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जिले में अभी दलहन एवं तिलहन की फसलों में मौसम के चलते किसी रोग का प्रकोप नहीं है। यदि आलू में ब्लाइट का प्रकोप होता है तो किसान प्रति हेक्टेयर 2-2.5 किग्रा डाइथेन एम 45 का प्रयोग करें। यदि मौसम में सुधार न हुआ तो पंद्रह दिनों बाद दो किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से कार्बेडिजम का प्रयोग करें। मटर की पत्ती पर सफेद रंग का चूर्ण जैसा दिखने पर प्रति हेक्टेयर दो किग्रा घुलनशील गंधक का छिड़काव करें। सरसों में लाही का प्रकोप होने पर किसान क्लोरोपाइरीफास या अन्य कीटनाशक का प्रयोग करें।

- उमेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी मऊ

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मौसम का रूख देख सहमे हैं। समय से बोआई के कारण तीसी एवं सरसों में फूल आ चुका है। किसी रोग कोई प्रकोप नहीं है।

-गिरिजापति राय, मूंगमांस

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आलू की फसल में पत्तियां हल्की सिकुड़ रही हैं। बारिश हुई या तेज हवा चली तो सरसों के फूल गिरने से उत्पादन कम होगा।

-रघुनंदन यादव, रघौली

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मटर एवं आलू दोनों ही अभी तक सुरक्षित हैं। मौसम कों लेकर चितित हूं। मौसम साफ हो और धूप निकले तो सांस में सांस आए।

-रामसेवक चौहान, सरफूपुर नदवल

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दिन में चंद घंटे के लिए हल्की धूप होने से फसल में खर पतवार नाशक एवं कीटनाशक का छिड़काव नहीं हो पा रहा है। अब खेतों की निगरानी ही विकल्प है।

-रामप्रसाद राजभर, मुंगेसर

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खेती किसानी मौसम के सहारे होती है। मौसम का मिजाज अब तो सही हो अन्यथा नुकसान होना तय है।

-जयशंकर प्रसाद, खानपुर खुर्द

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मौसम में सुधार होने से किसान की चिता दूर होगी। नुकसान का मुआवजा प्राप्त करना बहुत कठिन है।

-पंकज यादव बरौली


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