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प्रशासनिक उदासीनता से दुखी ग्रामीण नहीं मनाएंगे होली

प्रशासनिक उदासीनता से दुखी ग्रामीणों ने आमरण अनशन के बाद अब होली का पर्व भी ना मनाने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि होली खुशी का पर्व है और यहां हमें अपने खेती योग्य भूमि एवं आशियानें को बचाए रखने की चिता सता रही है। तो फिर कैसी होली और कहां की होली।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 06:51 PM (IST)Updated: Tue, 10 Mar 2020 06:09 AM (IST)
प्रशासनिक उदासीनता से दुखी ग्रामीण नहीं मनाएंगे होली
प्रशासनिक उदासीनता से दुखी ग्रामीण नहीं मनाएंगे होली

जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : प्रशासनिक उदासीनता से दुखी ग्रामीणों ने आमरण अनशन के बाद अब होली का पर्व भी ना मनाने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि होली खुशी का पर्व है और यहां हमें अपने खेती योग्य भूमि एवं आशियानें को बचाए रखने की चिता सता रही है। तो फिर कैसी होली और कहां की होली। बात हो रही है स्थानीय तहसील क्षेत्र के देवारा स्थित बिनटोलिया सहित करीब एक दर्जन गांव के लोगों की। जो पिछले दो सप्ताह से अस्थाई ठोकर के निर्माण को लेकर अनशन पर हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर अब तक उनके समस्या का कोई समाधान नहीं ढूंढा जा सका।

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भाजपा नेता भरत भैया द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय को लिखा गया पत्र, स्थानीय विधायक एवं मंत्री दारासिंह चौहान द्वारा ग्रामीणों को दिया गया आश्वासन भी ठोकर निर्माण को हकीकत का रूप नहीं दे पाया। ऐसे में दुखी ग्रामीणों ने होली को न मनाने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि स्थानीय तहसील क्षेत्र के देवरांचल की करीब 40 किलोमीटर तक का तटीय भाग हर साल घाघरा नदी के रौद्र रूप से प्रभावित होता है। इसमें सबसे अधिक प्रभावित बिनटोलिया गांव के लोग होते हैं। उनके घरों सहित सैकड़ों एकड़ भूमि घाघरा नदी के आगोश में समा जाती है। इस समस्या के समाधान हेतु पिछले कई सालों से ग्रामीणों द्वारा वहां स्थाई ठोकर निर्माण की मांग की जा रही है। इस संबंध में 19 दिसंबर 2019 को ग्रामीणों ने मंत्री को पत्र भी लिखा था, मगर उस पर सरकार द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया। इससे नाराज ग्रामीण पिछले दो सप्ताह से नदी किनारे अनशन पर बैठे हैं और मांग पूरी ना होने तक इसे जारी रहने की बात कह रहे हैं।


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