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चुनावी दाव-पेंच की भेंट न चढ़ जाएं गांव

पंचायत चुनाव के मुहाने पर खड़े ग्राम प्रधान अपनी जिम्मेदारियों से भटक गए हैं। वोट बैंक की चाहत ऐसी कि गांव के गांव तबाही की ओर बढ़ रहे हैं। गैर प्रांतों से गांवों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक आए हुए हैं पर प्रधान यह सूचना प्रशासन तक नहीं पहुंचा रहे कि कहीं गांवों में इसका विरोध न झेलना पड़ जाए। इस कारस्तानी में वर्तमान प्रधान ही नहीं बल्कि पूर्व प्रधान व भावी दावेदार भी शामिल हैं। यही कारण है कि प्रधानों व आशाओं द्वारा प्रवासी श्रमिकों की प्रशासन को दी गई सूचना में भारी अंतर है। महामारी के फैलने को लेकर गांवों में जहां दहशत का माहौल है वहीं लगातार संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह भी एक तथ्य है कि अब बाहर से आने वाले केसेज ही पाजिटिव मिले हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:02 AM (IST)
चुनावी दाव-पेंच की भेंट न चढ़ जाएं गांव
चुनावी दाव-पेंच की भेंट न चढ़ जाएं गांव

विपुल सिंह 'शैलेश', मऊ :

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पंचायत चुनाव के मुहाने पर खड़े ग्राम प्रधान अपनी जिम्मेदारियों से भटक गए हैं। वोट बैंक की चाहत ऐसी कि गांव के गांव तबाही की ओर बढ़ रहे हैं। गैर प्रांतों से गांवों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक आए हुए हैं पर प्रधान यह सूचना प्रशासन तक नहीं पहुंचा रहे कि कहीं गांवों में इसका विरोध न झेलना पड़ जाए। इस कारस्तानी में वर्तमान प्रधान ही नहीं बल्कि पूर्व प्रधान व भावी दावेदार भी शामिल हैं। यही कारण है कि प्रधानों व आशाओं द्वारा प्रवासी श्रमिकों की प्रशासन को दी गई सूचना में भारी अंतर है। महामारी के फैलने को लेकर गांवों में जहां दहशत का माहौल है, वहीं लगातार संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह भी एक तथ्य है कि अब बाहर से आने वाले केसेज ही पाजिटिव मिले हैं।

कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व में तबाही मचाई है। इससे पूरी मानवता पर खतरा मंडरा रहा है। आज देश महामारी की कगार पर खड़ा है। इसके चलते प्रदेश में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां भी मंद पड़ गई हैं। इधर अंदेशा जताया जा रहा है कि चुनाव कुछ माह के लिए टल जाए। इधर इस महामारी के बीच ग्राम पंचायतें अपनी जिम्मेदारियों से भी पीछे हट रही हैं। दिल्ली, मुंबई, गुजरात, इंदौर जैसे शहरों से आए बड़ी तादाद में प्रवासी श्रमिक अब गांवों के लिए खतरा बन गए हैं। कारण है कि ग्राम पंचायतें गांवों में चुपके से आने वालों की सही सूचना नहीं दे रही हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं इसका खामियाजा आगामी पंचायत चुनाव में न उठाना पड़ जाए। इसी का परिणाम है कि स्वास्थ्य विभाग के आशाओं व ग्राम पंचायतों द्वारा अपने-अपने विभागों को दी गई प्रवासियों की लिस्ट में बड़ा अंतर है। प्वाइंटर--

प्रवासी श्रमिकों की विभागों द्वारा दी गई सूचना

9,723 - ग्राम विकास

22,053 - स्वास्थ्य विभाग वर्जन--

गांवों में आए सभी प्रवासी श्रमिकों की सही सूचना देने के लिए सभी ग्राम पंचायतों को कड़े निर्देश दिए गए हैं। एक-एक ब्लाकों पर बैठक कर सभी कर्मियों को निर्देशित किया जा रहा है। आशाओं व ग्राम पंचायतों द्वारा दी गई सूचना में अंतर है। दोनों सूची का मिलान कर नई सूची तैयार की जाएगी।

- रामसिंह वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी, मऊ।


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