रडार पर 17 ग्राम पंचायतें, समीक्षा आज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन बेसलाइन सर्वे के आधार पर भी अभी पूर्ण नहीं हो पाया। ग्राम पंचायतों के मिशन में अपेक्षित सहयोग न करने के चलते प्रदेश की सूची में पहले जहां जनपद लगातार पिछड़ता ही गया, वहीं वर्तमान में 24वीं रैंक पर है। बीते वित्तीय वर्ष में जनपद जहां पीछे से 'टॉप थ्री' में रहा तो वर्तमान में पिछले आंकड़े बहुत तेजी से सुधरे। हालात यह है कि प्रदेश में पूर्वांचल के केवल दो जिले मिर्जापुर जहां 20ें पर है तो मऊ 24वें स्थान पर कायम है।
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन बेसलाइन सर्वे के आधार पर भी अभी पूर्ण नहीं हो पाया। ग्राम पंचायतों के मिशन में अपेक्षित सहयोग न करने के चलते प्रदेश की सूची में पहले जहां जनपद लगातार पिछड़ता ही गया, वहीं वर्तमान में 24वीं रैंक पर है। बीते वित्तीय वर्ष में जनपद जहां पीछे से 'टॉप थ्री' में रहा तो वर्तमान में पिछले आंकड़े बहुत तेजी से सुधरे। हालात यह है कि प्रदेश में पूर्वांचल के केवल दो जिले मिर्जापुर जहां 20वें पर है तो मऊ 24वें स्थान पर कायम है। हालांकि जनपद की 17 ग्राम पंचायतें ऐसी है जिनका असहयोग प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है। अगर यह ग्राम पंचायतें अपेक्षित सहयोग करती तो आंकड़े कुछ और होते। इसे लेकर बुधवार को इन 17 ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान व सचिव जिलाधिकारी प्रकाश ¨बदु के रडार पर होंगे।
भले ही बेसलाइन सर्वे के आधार पर जनपद 87 फीसदी जी टै¨गग कर लिया हो परंतु इधर कुछ सप्ताह से मिशन ठिठकता दिख रहा है। शौचालयों की जहां अपेक्षित एमआइएस नहीं हो रहा तो जीयो टै¨गग भी धड़ाम हो गई है। प्रधानमंत्री के इस अभियान में सहयोग न करने वाली ग्राम पंचायतों पर प्रशासन ने कहां कई ग्राम पंचायतों पर कार्रवाई करते हुए अधिकार सीज किए तो कई सचिव भी निलंबित हुए। वर्तमान में ऐसी 17 ग्राम पंचायतों को चिह्नित किया गया है। बीते वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में लक्ष्य को पाने के लिए प्रशासन ने सख्ती दिखानी शुरू की परंतु यह परवान नहीं चढ़ सकी। शौचालय निर्माण के लिए ग्राम पंचायतों में धनराशि भेजे जाने के बावजूद निर्माण नहीं हो पाया। गांवों को ओडीएफ यानि खुले में शौच मुक्त करने के लिए चल रहे व्यवहार परिवर्तन व शौचालय निर्माण में प्रशासन फेल साबित हुआ। ऐसे में महात्मा गांधी जयंती 02 अक्टूबर तक पूरे जनपद को ओडीएफ का लक्ष्य प्राप्त करने का लक्ष्य तो शासन द्वारा दिया गया था परंतु कार्य पूर्ण न होने पर इसे बढ़ा दिया गया। इसी सुस्त कार्यप्रणाली के चलते प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के मामले में प्रदेश की रे¨टग में जनपद पहले लगातार पिछड़ता ही गया। इस वित्तीय वर्ष जब जिलाधिकारी ने मिशन की कमान खुद अपने हाथ में संभाली तो परिस्थितियां बदलने लगी।