भारत से अंटार्कटिका पहुंचे मऊ के तीन युवा वैज्ञानिक
कोपागंज विकास खंड के हिकमा भदसा और इंदारा की हैं तीनों वैज्ञानिक प्रतिभाएं - पर्यावरण जलवायु और चट्टानों पर देश के लिए कर रहे हैं शोध - जान जोखिम में डालकर पहुंचे वैज्ञानिकों पर जनपदवासियों को गर्व
सूर्यकांत त्रिपाठी, मऊ। भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान अभियानों का यह दुलर्भतम संयोग है कि पृथ्वी के पांचवें सबसे बड़े महाद्वीप अंटार्कटिका या अन्टार्टिका पर देश के अलग-अलग संस्थानों से निकलकर तीन ऐसे वैज्ञानिक अपने शोध कार्य के लिए पहुंचे हैं जो मूलत: मऊ जिले के रहने वाले हैं। पर्यावरण एवं जलवायु के साथ ही जान-जोखिम में डालकर भारतीय ज्ञान-विज्ञान को समृद्ध करने निकलीं नीलांजना राय जहां कोपागंज विकास खंड के भदसा मानोपुर गांव की रहने वाली हैं, वहीं नवीन त्रिपाठी वीरू इसी गांव से सटे हिकमा गांव के निवासी हैं। जबकि प्रदीप कुमार कोपागंज ब्लाक के ही इंदारा गांव के रहने वाले हैं।
साहित्यकार डा.जयप्रकाश राय धूमकेतु की पुत्रवधू एवं भदसा मानोपुर निवासी वैज्ञानिक नीलांजना नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ अर्थ साइंस त्रिवेंद्रम से अंटार्कटिका महाद्वीप पर पहुंची हैं। अंटार्कटिका का 98 फीसद क्षेत्र 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ से आच्छादित है। नीलांजना ने बताया कि माइनस डिग्री सेंटीग्रेट में रहने वाली यहां की चट्टानों से जुड़े शोध कार्य पर काम कर रही हैं। जबकि हिकमा के विनोद त्रिपाठी के पुत्र नवीन त्रिपाठी अंटार्कटिका में इसरो अहमदाबाद से शोध कार्य का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां पहुंचे हैं। इंदारा गांव निवासी प्रदीप कुमार जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया फरीदाबाद से अपने शोध को आगे बढ़ाने अंटार्कटिका पहुंचे हैं। एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद अंटार्कटिका पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है। नीलांजना ने बताया कि तीनों वैज्ञानिक अपने शोध के विषय पर अपने संस्थान को ही कुछ बताएंगे। अन्य कहीं अपने शोध के विषय का खुलासा करना उनके लिए प्रतिबंधित है। कहा कि अंटार्कटिका में पाई जाने वाली पेंग्विन के साथ उन्होंने अपनी कुछ तस्वीरें लेने की कोशिश किया, लेकिन करीब पहुंचते ही वे दूर भाग गईं। डा.जयप्रकाश धूमकेतु ने कहा कि देश के लिए काम कर रहे जिले के तीनों वैज्ञानिकों का अंटार्कटिका पर पहुंचना दुर्लभ संयोग तो है ही, जनपदवासियों के लिए भी यह गर्व की भी बात है।