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जनपद में तीन नहरें बेमानी, दोहरीघाट पंप कैनाल ही सहारा

जनपद के खेतों की प्यास बुझाने को दो बड़ी नहरों दोहरीघाट पंप कैनाल एवं शारदा सहायक लिक नहर सहित लघु डाल योजना के तहत खुरहट पंप कैनाल एवं पकड़ी ताल पंप कैनाल हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 06:05 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 06:05 PM (IST)
जनपद में तीन नहरें बेमानी, दोहरीघाट पंप कैनाल ही सहारा
जनपद में तीन नहरें बेमानी, दोहरीघाट पंप कैनाल ही सहारा

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : जनपद के खेतों की प्यास बुझाने को दो बड़ी नहरों दोहरीघाट पंप कैनाल एवं शारदा सहायक लिक नहर सहित लघु डाल योजना के तहत खुरहट पंप कैनाल एवं पकड़ी ताल पंप कैनाल हैं। यह चार नहरें बस कहने को हैं। एकमात्र दोहरीघाट पंप कैनाल ही इन दिनों संचालित हैं।

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दोहरीघाट पंप कैनाल : जिले की चारों नहरों में सबसे अहम है प्रथम पंचवर्षीय योजना में तत्कालीन मंत्री पं.अलगू राय शास्त्री के प्रयास से बनी दोहरीघाट लिफ्ट पंप कैनाल। घाघरा नदी से दस पंपों (कुल 12 पंप हैं जिनमें दो स्टैंड बाई हैं) के माध्यम से प्रतिदिन 660 क्यूसेक पानी लिफ्ट कर जनपद के 44 हजार हेक्टेयर भूमि की सिचाई करने का लक्ष्य था। नहर के चार रजवाहों, 41 अल्पिकाओं एवं लगभग 750 कुलाबों के माध्यम से खेतों की सिचाई की जाती है। लाइनिग एवं अन्य साइडिग के कार्य अधूरे रहने के चलते इस क्षमता के साथ नहर संचालन संभव नहीं। ऐसे में महज प्रतिदिन 425-450 क्यूसेक पानी ही छोड़ा जाता है तो सिचित क्षेत्रफल घटकर 24003 हेक्टेयर हो गया है। नाबार्ड ने लगभग 12 वर्ष पूर्व इस नहर एवं जर्जर हो चलें पंप एवं मोटरों को बदले जाने हेतु के लिए 1317.95 लाख स्वीकृत किया। बाद में कुछ और कार्य हाथ में लेकर यह बजट 34.86 करोड़ कर दिया गया। धन निर्गत होने के बाद सभी मोटरें बदल दी गईं पर बाद में राजनीति का ऐसा खेल प्रारंभ हुआ कि आया हुआ धन तत्कालीन अधिकारियों ने वापस कर दिया। परिणाम यह कि नहर में लाइनिग यानी पक्की नहर (फर्श से लेकर किनारे तक सीमेंटेड) का कार्य अब तक न हो सका है।

शारदा लिक नहर : जिले की दूसरी अहम नहर शारदा सहायक नहर खंड 32 टांडा फाल से निकलती है। यह नहर जनपद के लगभग 34.6 किमी क्षेत्र से गुजरती है। वर्ष 2002 से इस नहर में पानी नहीं आया है। वर्ष 2009-10 में कुछ दिनों तक कुछ पानी दिखा तो किसान गदगद हुए पर चंद दिन की चांदनी वाली बात ही हुई। दरअसल इस नहर में टांडा से पानी तो छोड़ा जाता है पर आजमगढ़ की सीमा में ही समाप्त हो जाता है। भरथिया में इससे जुड़े इंदारा रजवाहा को अब दोहरीघाट पंप कैनाल से ही माह के पंद्रह दिनों तक पानी छोड़ा जाता है। ऐसे में यह नहर भरथिया के पश्चिमी क्षेत्र में बेमानी सराबित होती है। लघु डाल खुरहट नहर

लघु डाल योजना के तहत तमसा नदी के पानी से सिचाई हेतु खुरहट पंप कैनाल बनी। द्वितीय पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष 1957 में यह नहर उक्त क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसानों के लिए वरदान साबित हुई। मोटर एवं पंप जर्जर होने के बावजूद इन्हें बदला नहीं गया। बस मरम्मत होती रही। अब तो नहर के उद्गम स्थल पर तमसा में जलस्तर भी काफी घट गया है। इस स्थिति के बीच विडंबना यह कि इसका मुख्य कार्यालय जौनपुर में होने के चलते कोई इसकी सुधि ही नहीं लेता है। बहरहाल यह नहर बंद है।

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पकड़ी ताल नहर

द्वितीय पंचवर्षीय योजना के तहत ही खुरहट नहर के साथ ही पकड़ी ताल पंप कैनाल भी बनी। यह भी आखिरी सांस ले रही हैं। इसके उद्गम स्थल पकड़ी ताल में ही अब बस बारिश में ही पानी रहता है। इस नहर का भी हाल खुरहट पंप कैनाल जैसा ही है।

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आंकड़ों की नजर में सिचाई व्यवस्था

04 जनपद में नहरों की कुल संख्या

391 किमी चारों नहरों की लंबाई

660 क्यूसेक लीटर पानी प्रतिदिन दोहरीघाट पंप कैनाल की लक्षित क्षमता

450 क्यूसेक लीटर प्रतिदिन दोहरीघाट पंप कैनाल की वर्तमान में क्षमता

12 पंपों की संख्या

10 पंप चलते एक समय में

44 हजार हेक्टेयर लक्षित सिचित क्षेत्रफल

24003 हेक्टेयर वास्तविक सिचित क्षेत्रफल

04 रजवाहों की संख्या

41 अल्पिकाओं की संख्या

750 कुलाबों की संख्या

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दोहरीघाट पंप कैनाल की पंप एवं मोटर काफी पुराने हो चुके हैं। नाबार्ड द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट वर्षों पूर्व डंप हो गया। बावजूद इसके किसानों की मांग एवं आवश्यकतानुसार दोहरीघाट पंप कैनाल से पानी छोड़ा जाता है। भरथिया से आगे शारदा लिक नहर के जरिए किसानों को पानी दिया जाता है।

-वीरेंद्र पासवान, अधिशासी अभियंता


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