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बीत गए पांच वर्ष पर विकास की बाट जोहता रहा कटवास

कोपागंज विकास खंड के ग्राम पंचायत कटवास 2015 में नवसृजित ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 05:44 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 05:44 PM (IST)
बीत गए पांच वर्ष पर विकास की बाट जोहता रहा कटवास
बीत गए पांच वर्ष पर विकास की बाट जोहता रहा कटवास

जागरण संवाददाता, पुराघाट (मऊ) : कोपागंज विकास खंड के ग्राम पंचायत कटवास 2015 में नवसृजित ग्राम पंचायत बनी। बीते पांच वर्षों में गांव में खड़ंजा, नाली एवं सीसी रोड नाम मात्र में बने हैं। गांव में सड़क व घरों के पानी की निकासी के लिए नाले की जरूरत है। बरसात के समय सड़कों का पानी खेतों को डूबो देता है। पूरे गांव सबसे बड़ी समस्या जल निकासी है। कटवास क्रांतिकारियों की शरणस्थली है, बावजूद इसके विकास न होना ग्राम पंचायत की उदासीनता को दर्शाता है। गांव में एक प्राथमिक विद्यालय, एक उच्च प्राथमिक विद्यालय है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि विद्यालय तक जाने के लिए सड़क ही नहीं है। बच्चे किसी तरह पगडंडी के सहारे विद्यालय जाते हैं। गांव में शिक्षण संस्थाओं की कमी होने के कारण उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अधिक दूरी तय करना पड़ती है। गांव में एक आंगनबाड़ी केंद्र है, सामुदायिक शौचालय निर्माणाधीन है। पंचायत भवन के लिए जमीन तलाशी जा रही है। ग्रामीणों के लिए कोई नजदीकी अस्पताल न होने से मरीजों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनसेट--

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पेयजल के हों बेहतर इंतजाम

गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए 33 इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हुए हैं, जो पेयजल आपूर्ति के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं। गांव में पानी की टंकी नहीं होने के चलते एक बड़ी आबादी हैंडपंपों पर ही आश्रित है। जल संरक्षण के लिए गांव में दो तालाब हैं। इनके किनारे पौधारोपण होने से एक तरफ जहां पानी का वाटर लेबल ठीक रहता है वही पर्यावरण में भी सुधार हुआ है। बावजूद इसके पानी निकासी के लिए समस्या बनी हुई है।

पेंशन की आवश्यकता

गांव में पात्र लाभार्थियों को पेंशन का लाभ बहुत ही कम मिला है। अभी भी अधिकांश पात्र लाभार्थी इस योजना से वंचित हैं। पूरे गांव में 11 पेंशन धारक हैं, इसमें सात वृद्धा

व चार दिव्यांग हैं। आवास--

प्रधानमंत्री आवास प्लस के तहत वर्ष 2020 में आवास मात्र दो लोगों को मिला है। पहली किस्त मिलने के बाद नींव की खोदाई चालू हो गई है। अभी भी कई लाभार्थी सरकार की योजना से वंचित होकर झोपड़ी में रहने को विवश हैं। गांव में कुल 75 आवास प्रस्तावित हैं, इसमें 22 आवंटित हैं, इसमें मात्र दो लोगों के ही खाते में पहली किस्त आई है। राशनकार्ड धारक--

शासन से काम रेट पर मिलने वाले राशन के लिए मात्र 192 राशन कार्ड बनाए गए हैं। हालांकि एक बड़ा तबका अभी राशन कार्ड से महरुम है। इसमें 31 अंत्योदय कार्डधारक तथा 161 पात्र गृहस्थी कार्डधारक शामिल हैं। नंबर गेम--

जनसंख्या--

1250 - गांव की जनसंख्या

750 - पुरूष

500 - महिलाएं

मतदाता--

780 - कुल मतदाता

16 - अनुसूचित जनजाति

10 - अनुसूचित जाति

754 - पिछड़ी चौहद्दी--

गांव के पूरब करिमाबाद

पश्चिम तरफ देवकली विशुनपुर

उत्तर तरफ इंदारा

दक्षिण तरफ छपरा गांव

मत्था--

- 109 पात्र लाभार्थियों के घरों में बने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय।

- 32 स्ट्रीट लाइट लगे हैं, जबकि एक भी सोलर लाइट नहीं लगी है। वर्जन--

विकास के लिए बीते पांच वर्ष में नाली, खड़ंजा, सीसी रोड बने हैं लेकिन ये नाकाफी हैं। आवास के लिए 75 लोगों की सूची भेजी गई थी, इसमें 22 को यह आवंटित हुआ है, लेकिन अभी तक मात्र दो लोगों के खाते में ही पहली किस्त आई है। विकास के लिए कई कार्य करने हैं जो अभी नहीं हो पाए हैं।

- चंद्रकला यादव, निवर्तमान प्रधान। बोले ग्रामीण--

- नई ग्राम पंचायत बनने के बाद ज्यादा विकास कार्य नही हो पाया है। यहां आजादी को लेकर क्रांतिकारी अपनी शरण स्थली बनाए थे लेकिन वह ऐतिहासिक स्थान ही उपेक्षा के चलते उपेक्षित है। पहले यह दूसरी ग्राम सभा का अंग था लेकिन स्वतंत्र ग्राम पंचायत होने के बाद भी उधर ध्यान नहीं दिया गया।

- उजागिर राम।

- गांव में एकाध खड़ंजा, नाली एवं सीसी रोड बने हैं लेकिन अभी भी इसकी आवश्यकता ज्यादा है। पूरे गांव के गंदे पानी निकासी को लेकर कोई पहल नहीं की गई। इससे मुख्य समस्या खड़ी है। बरसात के समय यह और भी भयावह हो जाती है।

- दुर्गविजय यादव।

- बच्चों को प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। पगडंडी पकड़ कर किसी तरह बच्चे विद्यालय जाते हैं। बारिश के समय इन पर चलना विद्यार्थियों के लिए विकट हो जाता है।

- सुरेश राजभर।

- गांव में दो लोगों को ही आवास मिला है जबकि बहुतेरे लाभार्थी इससे वंचित हैं जिससे वे झोपड़ी में रहने को विवश हैं। विधवा पेंशन किसी को नहीं मिला, जबकि वृद्धा एवं दिव्यांग पेंशन कुछ लोगों को मिल रहा है। नई ग्राम पंचायत होने के बाद विकास जो होना चाहिए वह नहीं हुआ।

- अभिषेक यादव।


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