रामनवमी आस्था का केंद्र बनेगा मठ गुरादरी
जागरण संवाददाता मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) तहसील मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दक्षिण दिशा
जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) : तहसील मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित पवित्र मठ गुरादरी का सरोवर जल संरक्षण की मिसाल बना हुआ है। यहां के पोखरे का पानी कभी भी नहीं सूखता है। यही वजह है कि यहां स्नान कर बाबा घनश्याम दास की समाधि पर मत्था टेकने वालों का तांता लगा रहता है। रामनवमी, एकादशी सहित कई अवसरों पर यहां हर वर्ष कार्यक्रम होता है। रामनवमी पर्व पर यह मठ आस्था का केंद्र बन जाता है। लगभग 350 वर्ष से यहां के पोखरे में स्नान करना एवं चढ़ावा चढ़ाने की शुरू हुई प्रथा आज भी जारी है। किवदंतियों के अनुसार बाबा घनश्याम दास यहां की कुटी के पास चकजाफरी में जन्म लिए थे। अपने प्रारंभिक दिनों बाबा यहां के जंगलों में गाए चराना प्रारंभ किए। समय के साथ उन दिनों उनको दोपहर का भोजन उनकी मां खुद लेकर जाया करती थी। इसी बीच एक दिन भोजन के उपरांत उनको पानी की कमी हुई जो इस घने जंगल में मिलना बड़ा कठिन था। बाबा ने अपनी माता से कहा कि वे पानी के लिए गांव न जाए बल्कि यहां की एक सूखी पोखरी से ढेला हटाकर पानी ले लें। बेटे की इस बात पर माता ने उसे बउड़म कहा परंतु बेटे के बार-बार आग्रह पर माता ने यह कार्य कर ही दिया। फिर क्या देखते ही देखते उस पोखरी में शीतल जल की धारा उमड़ पड़ी। इसे बेटे व मां दोनों ने नमन कर अपनी प्यास बुझाई और इसी पोखरी को मठ के छठवें गुरु बाबा जगन्नाथ ने भव्य पोखरे का रूप दिया और इसमें सात समुद्रों का पानी भी डाला गया। मठ पर लगने वाले विभिन्न अवसरों पर मेले में आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर एवं वाराणसी आदि जगहों से श्रद्धालु भक्तों के आने वाली भीड़ को देखते हुए यहां पुलिस चौकियां भी बनाई गई है। यहां वर्ष भर पोखरे में पानी रहता है। कभी भी इस जलाशय का पानी नहीं सूखा है।