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आशंकाओं से उबरा शहर, चप्पे-चप्पे पर रही नजर

श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या पर सर्वाेच्च न्यायालय के ऐतिहासिक सुप्रीम फैसला शनिवार की सुबह 1030 बजे। शुक्रवार की देर शाम जैसे ही यह जानकारी संचार माध्यमों से लोगों को हुई हर जन-हर मन आशंकाओं से घिर उठा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:34 PM (IST)
आशंकाओं से उबरा शहर, चप्पे-चप्पे पर रही नजर
आशंकाओं से उबरा शहर, चप्पे-चप्पे पर रही नजर

जागरण संवाददाता, मऊ : श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या पर सर्वाेच्च न्यायालय के ऐतिहासिक सुप्रीम फैसला शनिवार की सुबह 10:30 बजे। शुक्रवार की देर शाम जैसे ही यह जानकारी संचार माध्यमों से लोगों को हुई, हर जन-हर मन आशंकाओं से घिर उठा। कहीं कोई अनहोनी न हो, इस अंदेशे ने सबको बेचैन कर दिया। थोड़ी ही देर में प्रशासन ने कमान संभाल ली। सुरक्षा बलों का रूट मार्च, शहर की गलियों में शुरू हो गया। खुद जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य रात में ही निकल पड़े। मुख्य सड़क से लेकर हर गली और संवेदनशील कस्बों में भ्रमण कर लोगों को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे कि सभी आराम से सोए, फैसले को संजीदगी से लें, इसे हार या जीत के रूप में न लें। हर अराजक तत्व पर प्रशासन की पैनी नजर है, कहीं कुछ भी गड़बड़ नहीं होगा। हुआ भी यही, शनिवार की सुबह फैसला आने के पूर्व का अंदेशा, फैसला आने के बाद हर मन से जाता रहा, शहर आशंकाओं से उबर कर सामान्य रूप से उठ खड़ा हुआ। हालांकि प्रशासन फिर भी चौकस था, चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए, लोगों से किए गए अपने वादे को निभाने के लिए। शनिवार की सुबह से ही अधिकांश बाजारें बंद रहीं। हर कदम पर सुरक्षा बलों का घेरा नजर आया। पुलिस, पीएसी, आरएएफ के जवानों की हर ओर चहलकदमी ने नापाक मंसूबों को समय से पहले ही दबा दिया था। सड़क पर हूटर बजाती गाड़ियां, सुरक्षा बलों के बूटों की धमक, अधिकारियों का चक्रमण सुरक्षा की फुल प्रूफ व्यवस्था का परिचय दे रहा था। कहीं-कहीं इक्का-दुक्का दुकानें ही खुली रहीं। लोग घरों से कम निकले। सुबह ही अपने काम निपटाकर सभी साढ़े दस बजे के पूर्व ही टीवी खोलकर बैठ गए। 11 बजे के बाद फैसला पूरा होने के बाद धीरे-धीरे लोग बाहर निकले। बाजार फिर भी बंद रहे। सबने फैसले का स्वागत किया और मिलजुल कर सछ्वाव बनाए रखने का संकल्प जताया। इस बीच देहातों के लोग भी शहर की फिजा से वाकिफ होने के लिए अपने परिचितों को फोन करते रहे। शहर के बारे में उड़ रही निराधार अफवाहों की पुष्टि के लिए। कुल मिलाकर सबने संयम, धैर्य, सद्भाव और सहिष्णुता का परिचय दिया और अमनो-अमान की गाथा लिखने में कामयाब रहा मऊ।

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