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अब रोजगार का विकल्प तलाशने में जुटे निजी स्कूलों के शिक्षक

मऊ लॉकडाउन के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद होने से भुखमरी के कगार पर खड़े प्राइवेट शिक्षक खेती में नया रोजगार तलाश रहे है। प्रबंध तंत्र द्वारा छात्रों की फीस से ही निजी स्कूल-कॉलेजों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को वेतन नहीं दिया जाता है। वेतन के लिए प्रबंध तंत्र की शिकायत को भी उचित नहीं मानते क्योंकि इन्हें पता है कि कोई सुनने वाला नहीं है। अचानक बदले हालात के कारण भूखमरी की कगार पर खड़े ऐसे शिक्षक रोजगार के विकल्प तलाश रहे हैं। कई शिक्षकों ने तो खेती को ही स्वरोजगार बना काम शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 05:12 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 05:12 PM (IST)
अब रोजगार का विकल्प तलाशने में जुटे निजी स्कूलों के शिक्षक
अब रोजगार का विकल्प तलाशने में जुटे निजी स्कूलों के शिक्षक

जागरण संवाददाता, मऊ : प्रतिबंध के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद होने से भुखमरी के कगार पर खड़े निजी स्कूलों के शिक्षक खेती में नया रोजगार तलाश रहे है। प्रबंध तंत्र द्वारा छात्रों की फीस से ही निजी स्कूल-कॉलेजों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को वेतन नहीं दिया जाता है। इसके लिए वह विद्यालय प्रबंध तंत्र की शिकायत को भी उचित नहीं समझ रहे हैं।

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कोरोना के चलते मार्च माह से ही स्कूल-कालेज पूरी तरह से बंद चल रहे हैं। सरकारी अध्यापकों को तो सरकार पूरी तनख्वाह दे रही है जबकि प्राइवेट स्कूल संचालक की कमाई बच्चों की फीस ही है। चार माह से एक फूटी कौड़ी भी निजी स्कूल संचालकों को नहीं मिली है। स्कूलों के संचालक अब कुछ टीचरों को थोड़ा बहुत मानदेय तो दे रहे हैं लेकिन अधिकांश तो पूरी तरह से बंद कर दिए हैं। अभी तक स्कूल कब तक खुलेंगे यह भी हालात के ऊपर निर्भर है। ऐसे में जिन शिक्षकों के पास अपनी खेती है तो वह सब्जी आदि उगाना शुरू कर दिए हैं। जिनके पास खेती नहीं है वह सब्जी बेच रहे हैं। यानी किसी तरह से परिवार का खर्च निकालने की जुगत में हैं। कुछ तो रोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं। दोहरीघाट के निजी स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि चार हजार रुपये मानदेय से महीने का खर्च चलता था। अब वह भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में सब्जी बेचकर किसी तरह परिवार की गाड़ी खींची जा रही है। मुहम्मदाबाद गोहना तहसील क्षेत्र के एक विद्यालय के प्रबंधक ने कहा कि फीस से ही विद्यालय का सारा खर्च चलता है। चार माह से विद्यालय बंद है। ऐसे में स्टाफ का मानदेय भी नहीं दे पा रहे हैं। फिलहाल अब निजी स्कूल के शिक्षक स्वरोजगार तलाशने में जुट गए हैं। उन्हें पता है कि अगर कोरोना का संक्रमण इसी तरह रहा तो स्कूल खुलना भी मुश्किल है। ऐसे में परिवार की गाड़ी चलाने के लिए कुछ तो करना ही होगा।

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यह सत्य है की निजी स्कूल शिक्षकों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। मंडल में कई शिक्षक तो मनरेगा मजदूरी भी कर रहे हैं। फिलहाल अभी तक सरकार की तरफ से इनके लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है।

-अनारपति वर्मा, संयुक्त शिक्षा निदेशक आजमगढ़ मंडल।


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