आजमगढ़ मंडल में ग्राम पंचायतों की जांच करेगी टीएसी
दिसंबर माह में सर्वाधिक भुगतान करने वाली ग्राम पंचायतों की सूची तैयार
निर्देश..
सबहेड-- दिसंबर माह में सर्वाधिक भुगतान करने वाली ग्राम पंचायतों की सूची तैयार - एक ग्राम पंचायत ने एक माह में ही कर दिया 44 लाख का भुगतान - मंडलायुक्त ने मंडलीय उपनिदेशक के नेतृत्व में गठित की जांच टीम जागरण संवाददाता, मऊ : कार्यकाल खत्म होने से पूर्व ग्रामीण विकास के धन का अनियमित भुगतान करने वाली ग्राम पंचायतों की अब खैर नहीं। दिसंबर माह में बिना स्टीमेट व एमबी यानि मेजरमेंट बुक तैयार किए धड़ल्ले से 14वें व राज्यवित्त की धनराशि का भुगतान किया गया। इसका संज्ञान लेते हुए मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने आजमगढ़ मंडल के आजमगढ़, बलिया व मऊ जनपद में टीएसी जांच लगा दी है। मंडलीय उपनिदेशक पंचायती राज की अध्यक्षता में सहायक लेखाधिकारी ग्राम्य विकास विभाग एवं प्राविधिक परीक्षक ग्राम्य विकास सबसे अधिक भुगतान करने वाली ग्राम पंचायतों की जांच करेंगे। प्रदेश में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर की रात 12 बजे समाप्त हो गया। ग्राम पंचायतों के भंग होने से पूर्व ही खेल शुरू कर दिए। तत्कालीन प्रधानों व ग्राम सचिवों ने अंत समय में अनियमितता का खेल खेला। ग्राम निधि के खाते में आए स्वच्छता पेयजल के मद में केंद्रीय 14वां वित्त एवं परिसंपत्तियों की रखरखाव के लिए राज्य सरकार से मिले राज्यवित्त की पूरी धनराशि को बिना काम कराए व स्टीमेट व एमबी कराए ही प्राइवेट फर्मों के खाते में भेंज कर उतार लिया गया। इस अनियमितता का संज्ञान लेते हुए मंडलायुक्त ने टीएसी यानि तकनीकी सलाहकार समिति का गठन किया है। यह समिति एक दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच हुए भुगतान से कराए गए एक-एक कामों की भौतिक जांच करेगी। इसके लिए जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में आजमगढ़, तीसरे में मऊ एवं चौथे सप्ताह में बलिया जनपद की जांच होगी। मंडलायुक्त ने त्रि-स्तरीय कमेटी से फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में जांच रिपोर्ट तलब किया है।
इनसेट-- बानगी : 25 ग्राम पंचायतों में निकाले गए 05 करोड़
ग्रामीण विकास को धार देने के लिए केंद्र-राज्य सरकारों ने अपने खजाने खोल दिए हैं। वहीं इन विकासीय योजनाओं के नाम पर आ रही धनराशि का हश्र क्या है यह मऊ जनपद के सिर्फ 25 गांव दर्शा देंगे। 25 गांवों में मात्र एक माह यानि दिसंबर माह में 05 करोड़ रुपये उतार लिए गए। इसके लिए अधिकतर ग्राम पंचायतों का खाते शून्य हो गए। तत्कालीन प्रधानों व सचिवों ने एक रुपया भी नहीं छोड़ा। जबकि हकीकत है कि बिना धरातल पर काम कराए ही धनराशि का गबन कर लिया गया। इसमें कहीं 44 लाख तो कहीं 36 लाख रुपये तक भुगतान कर लिए गए। मऊ में दिसंबर माह में सर्वाधिक भुगतान करने वाली ग्राम पंचायतें-- अमिला (44.56 लाख रुपये), पिजड़ा (35.93 लाख रुपये), मीरपुर मु. दरियाबाद (30.03), हरघौली (26.92), खैराबाद (25.08), अलीनगर (24.62), रकौली (23.55), ताजोपुर (23.47), भेलउर चंगेरी (21.83), कुशमौर (20.89), गोंठा (19.84), पिडोहरी (18.64), बेला सुल्तानपुर (18.01), पीवाताल (17.33), परदहा (16.87), सरौदा (16.43), रणवीरपुर (15.97), जगदीशपुर (15.10), नसोपुर (14.98), चक भगवानदास (14.85), तिघरा (14.78), दतौड़ा (14.57), पनिखापुर (14.46), हाफिजपुर (14.31)।