बिदटोलिया में कटान जारी, नदी में समा रहे गेहूं बोए खेत
जागरण संवाददाता मधुबन (मऊ) अब इसे रमेश अमरजीत रामदेव प्रह्लाद कवलजीत बेचू जैसे दर्जनों
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : अब इसे रमेश, अमरजीत, रामदेव, प्रह्लाद, कवलजीत, बेचू जैसे दर्जनों किसानों की बेबसी कहें या प्रशासनिक विफलता। तहसील क्षेत्र के देवरांचल में सरयू नदी के सबसे अंतिम छोर पर बसे बिदटोलिया गांव के किसान अभी कुछ दिन पहले ही गेहूं की बोआई वाले खेतों को अपनी आंखों के सामने नदी में समाता देख रहे हैं और चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। बेचारे कर भी क्या सकते हैं, जब प्रशासन नदी के कटान को रोक नहीं पाया, तो फिर सरयू नदी के रौद्र रूप के आगे इनकी क्या बिसात।
अभी कुछ ही माह पूर्व इन दर्जनों किसानों में से कई ने कटान के चलते अपना आशियाना गंवाया है। कुछ अभी भी अपने सगे संबंधितों के यहां पनाह लिए हुए हैं। सरयू की कटान रुकने के बाद इन सबने राहत की सांस ली थी। खोए आशियाने का दर्द तो सता रहा था, मगर सोचा कि चलो आशियाना को फिर से खड़ा करने में कुछ समय लगेगा, तो इस बीच गेहूं की बोआई कर लें। खेत जोत गेहूं के बीज डाले, कुछ दिनों बाद पौधे भी निकल आए मगर एक बार फिर कुदरत ने सितम ढाना शुरू कर दिया। सरयू नदी में फिर से कटान शुरू हो गई और आज हालात यह है कि रोज कुछ न कुछ खेती योग्य भूमि नदी में समा रही है। किसान खुद को बेवस और लाचार महसूस कर रहा है। गांव के सबसे बुजुर्ग लगभग 80 वर्षीय रामबली निषाद की आंखों से इसका दर्द साफ झलकता है।