स्कूल बंद, स्टेशनरी और भोजन मद में निकाल लिए 23.96 लाख
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भोजन स्टेशनरी सहित दैनिक आवश्यकत
जागरण संवाददाता, मऊ : कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भोजन, स्टेशनरी सहित दैनिक आवश्यकताओं के नाम पर स्कूल बंद होने के बाद भी 23.96 लाख रुपये निकाल लिए गए। जबकि इस दौरान मार्च से अब तक प्रेरणा पोर्टल पर छात्राओं की उपस्थिति शून्य है। कारण कोरोना के चलते विद्यालय बंद हैं। ऐसे में जनपद के पांच विद्यालयों में दैनिक सामानों की खरीदारी के नाम पर लाखों रुपये का घपला हुआ है। कोरोना काल में सभी विद्यालय बंद हैं परंतु विभागीय कारस्तानी जारी रही।
केंद्र सरकार कमजोर वर्ग की छात्राओं को साक्षर करने के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय स्थापित किए हैं। जनपद में यह विद्यालय रानीपुर ब्लाक के पलिगढ़, कोपागंज के देइथान, मुहम्मदाबाद गोहना में कैलेंडर के पास, रतनपुरा में गाढ़ा तथा बड़राव में सरायसादी के पास संचालित हैं। इन पांच आवासीय विद्यालयों में लगभग 450 छात्राएं रहती हैं। इनके भोजन, स्टेशनरी, साबुन, तेल व अन्य जरूरी सामान के लिए शासन स्तर से बजट दिया जाता है।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय होली के पूर्व यानि 24 मार्च से बंद हैं। होली पर्व के लिए चार-पांच दिन पहले ही सैकड़ों की तादाद में छात्राएं अपनी घर चली गई। इसके बाद से ही यह विद्यालय बंद चल रहा है। इसके बावजूद विभाग व विद्यालय प्रशासन की मिलीभगत से छात्राओं के भोजन, स्टेशनरी आदि के मद में आए रुपये को निकाल लिए गए। जबकि इन छात्राओं की उपस्थित आए दिन प्रेरणा पोर्टल पर दर्ज की जाती है। इस छुट्टी के दौरान एक भी छात्राओं की उपस्थिति पोर्टल पर नहीं दर्ज की गई। वर्जन--
यह मामला अप्रैल से पूर्व का है। छात्राओं की उपस्थिति प्रेरणा पोर्टल पर फीड नहीं हो पाई थी। अब फीडिग की जा रही है।
- डा. राजेंद्र प्रसाद, प्रभारी बीएसए। इनसेट--
विद्यालय की व्यवस्था से नाराज हैं अभिभावक
पलिगढ़ : रानीपुर ब्लाक क्षेत्र के रानीपुर (पलिगढ़) कस्तूरबा विद्यालय की व्यवस्था से अभिभावक खिन्न रहते हैं। परदहां ब्लाक के खंडेयरायपुर तथा पलिगढ़ के पइलवापार के अभिभावक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मानक के अनुसार फल नहीं दिया जाता, वहीं दूध भी पीने के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। बताया कि तबीयत खराब होने पर वहीं के नीम हकीमों को दिखाया जाता है, या छात्राओं के अभिभावक को फोन कर बुला लिया जाता है। उसके बाद अभिभावक के साथ बच्ची को घर भेज दिया जाता है।