फोटो 4 व 5 चुनावी शोर में दब गए करोड़ों के घोटाले
ग्राम पंचायतों में कार्यकाल खत्म होने के पूर्व बड़े पैमाने पर जनपद ।
जागरण संवाददाता, मऊ : ग्राम पंचायतों में कार्यकाल खत्म होने के पूर्व बड़े पैमाने पर जनपद में अनियमितता हुई। इसमें एक दिसंबर से 24 दिसंबर के बीच राज्यवित्त, 14वें वित्त मद के 30 करोड़ रुपये भुगतान करा लिए गए थे। इसके लिए न तो अभिलेख ही तैयार किए गए और न ही मौके पर काम ही कराए गए। जब मामला उजागर हुआ तो जिलाधिकारी ने जनपद स्तरीय अधिकारियों की क्लस्टरवार 40 टीमें जांच के लिए लगा दीं। जांच टीमों को एक सप्ताह में रिपोर्ट देनी थी परंतु एक माह बीतने के बाद भी रिपोर्ट जमा नहीं हुई। जो रिपोर्ट जमा भी हुई उसे जिला पंचायत राज विभाग लटकाए हुए है। इसी बीच पंचायत चुनावों के तहत आरक्षण की नीति जारी होने पर विभाग चुनावी मोड में है। ऐसे में चुनावी शोर में अनियमितता के मामले दबने की आशंका बनी हुई है।
25 दिसंबर की रात 12 बजे जनपद की 671 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया। कार्यकाल खत्म होने के पूर्व ही ग्राम पंचायतों में अनियमितता का खेल शुरू हो गया था। पूरे दिसंबर माह में बिना स्टीमेट व मेजरमेंट बुक तैयार किए बस धड़ाधड़ भुगतान किए गए। इस दौरान ग्राम पंचायतों ने 30 करोड़ रुपये नाली, खड़ंजा, सोलर लाइट, ह्यूम पाइप, रंगाई-पोताई आदि मद में प्राइवेट फर्मों के खाते में भुगतान कर दिए। हकीकत यह है कि बिना धरातल पर काम कराए ग्राम निधि के खाते से धनराशि का भुगतान कर दिया गया। इससे जनपद की अधिकतर ग्राम पंचायतों के खाते शून्य हो गए। जब अनियमितता उजागर हुई तो जांच के लिए जनपद स्तरीय 40 टीमें गठित की गईं।
केवल पंचायत भवन व सामुदायिक शौचालय पर करना था पेमेंट
प्रदेश सरकार का पंचायत भवनों के निर्माण पर जोर है ताकि ग्रामीणों को गांव में ही सभी सुविधाएं मुहैया हो सकें। सरकार का मानना है कि अगर पंचायत भवन तैयार हो जाता है तो जहां ग्राम पंचायत के काम यहीं से निबटाए जाएंगे, वहीं जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति, आय आदि प्रमाण पत्र भी यहीं से बनाए जाएंगे। ताकि ग्रामीणों को इसके लिए तहसील व ब्लाक का चक्कर नहीं काटना पड़े। शासनादेश है कि ग्राम पंचायतों के वित्त की धनराशि का भुगतान सामुदायिक शौचालय व पंचायत भवन के इतर कहीं हुआ तो वह अनियमितता की श्रेणी में आएगा।
अधिसूचना का है इंतजार
जांच के लिए टीमें लगाई गई हैं पर मानीटरिग नहीं होने से जांच दूसरी दिशा में जा रही है। जांच अधिकारी जांच को लंबा खींच रहे हैं। इसके पीछे मंशा यह थी कि समय काटा जाए ताकि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो जाए। ताकि इस खेल में संलिप्त बड़े अधिकारियों से लगायत ग्राम स्तर तक के चहेतों को बचाया जा सके। चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई तो पूरा प्रशासन चुनावी मोड में होगा।
नंबर गेम-
671 - कुल ग्राम पंचायतें
597 - ग्राम पंचायतों में निकाली गई धनराशि
30 - करोड़ रुपये निकले दिसंबर माह में सभी ग्राम पंचायतों की रिपोर्ट आ गई है। जिला पंचायत राज विभाग में कर्मियों की कमी होने के चलते देरी हो रही है। डीपीआरओ को निर्देशित किया गया है कि जल्द रिपोर्ट सौंपे।
- रामसिंह वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी।