रेलवे ट्रैक की सुरक्षा आरपीएफ की चुनौती
रेलवे ट्रैक की सुरक्षा आरपीएफ की चुनौती
जागरण संवाददाता, मऊ : भारत लॉकडाउन के दौरान ट्रेनों का संचालन बंद होने के बाद रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर आरपीएफ के जवानों को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। पहले यात्री ट्रेनों के चलने पर आरपीएफ के जवान जहां ट्रेनों में सवार होकर इस स्टेशन से उस स्टेशन तक घूम कर सुरक्षा सुनिश्चित कर लेते थे, वहीं अब उन्हें रेलवे ट्रैक के किनारे-किनारे चलकर तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए दूसरे स्टेशन तक पहुंचना पड़ रहा है। यही नहीं, टी-स्टालों के बंद होने के चलते आरपीएफ के जवानों को खाना तो दूर पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। बावजूद इसके रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर आरपीएफ के जवान अलर्ट हैं।
ट्रेनों का संचालन होते रहने पर रेलवे के अन्य कर्मचारी भी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर खासे सजग रहते हैं और किसी भी तरह की दिक्कत होने पर तत्काल आरपीएफ को सूचित करते हैं। लॉकडाउन के दौरान स्टेशनों के अधिकांश कर्मचारी घर पर ही आराम कर रहे हैं। मऊ जंक्शन का आलम यह है कि चौबीस घंटे में ट्रैक से होकर तीन या चार मालवाहक ट्रेनें ही गुजर रही हैं। ट्रेनों के बराबर गुजरते रहने से जहां रेलवे कर्मचारियों का ट्रैक व रेलवे स्टेशन प्रांगण में बराबर आवागमन बना रहता है, वहीं रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले भी इस बात से भयभीत रहते हैं। आरपीएफ थानाध्यक्ष डीके राय ने बताया कि वर्तमान में किड़िहरापुर, बेल्थरारोड, इंदारा जंक्शन, पिपरीडीह, खुरहट एवं दुल्लहपुर रेलवे स्टेशनों पर आरपीएफ के दो-दो जवानों को दिन-रात ठहराया जा रहा है। कहा कि इन स्टेशनों पर चौबीस घंटे नजर रखी जा रही है। वर्तमान में सबकुछ बंद होने के चलते आरपीएफ के जवानों को मेस से दूर रहकर ड्यूटी करने में भोजन-पानी से भी जूझना पड़ रहा है।