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प्रदूषण जांच से कटा शहर, आबोहवा में घुला जहर

वर्तमान समय में भले ही कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा विश्व हलकान हैं लेकिन आजमगढ़ मंडल में प्रदूषण की जांच के लिए कोई भी संसाधन नहीं है। प्रदूषण की जांच को लैब भी स्थापित नहीं है। इसकी वजह से मंडल की आबोहवा में जहर घुलता जा रहा है। तमाम संक्रामक रोगों से फैल रही बीमारियों से असमय लोग काल कवलित हो रहे हैं। इसके लिए दर्जनों बार शासन को पत्र लिखा गया लेकिन प्रदूषण जांच को लैब की स्थापना ही नहीं की गई। ऐसे में मात्र यहां का कार्यालय दिखावा है। मंडल में केवल तमसा व गंगा नदी का जल का सेंपल लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वाराणसी भेजा जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 02:59 PM (IST)Updated: Sun, 22 Mar 2020 02:59 PM (IST)
प्रदूषण जांच से कटा शहर, आबोहवा में घुला जहर
प्रदूषण जांच से कटा शहर, आबोहवा में घुला जहर

वर्तमान समय में भले ही कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा विश्व हलकान हैं लेकिन आजमगढ़ मंडल में प्रदूषण की जांच के लिए कोई भी संसाधन नहीं है। इसकी जांच को लैब भी स्थापित नहीं है। इसकी वजह से मंडल की आबोहवा में जहर घुलता जा रहा है। तमाम संक्रामक रोगों से फैल रही बीमारियों से असमय लोग काल कवलित हो रहे हैं। इसके लिए दर्जनों बार शासन को पत्र लिखा गया लेकिन प्रदूषण जांच के लिए लैब की स्थापना ही नहीं की गई। ऐसे में मात्र यहां का कार्यालय दिखावा है। मंडल में केवल तमसा व गंगा नदी का जल का सेंपल लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वाराणसी भेजा जाता है। हर बार रिपोर्ट में मंडल में पानी की स्थिति बेहद ही खराब मिलती है। फरवरी माह में भेजे गए पानी की रिपोर्ट भी निगेटिव रही है। कुल मिलाकर तमसा व गंगा का पानी आचमन योग्य ही नहीं हैं।

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आजमगढ़ मंडल में तीन जनपद आजमगढ़, मऊ व बलिया जनपद आते हैं। आजमगढ़ व मऊ जनपद में तमसा नदी तो बलिया में गंगा नदी बहती है। पिछले दो दशक में इतना अधिक प्रदूषण फैला है कि आम आदमी का सांस लेना मुश्किल हो गया है। शहर की आबोहवा पूरी तरह प्रदूषित हो गई है। प्रदूषण से लोग तमाम प्रकार के रोगों के शिकार हो रहे हैं। इससे असमय लोगों की मौत हो रही है। आजमगढ़ मंडल में वर्ष 2004 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई। इसके बाद से यहां प्रदूषण मापने के लिए कोई लैब स्थापित नहीं किया गया। यही वजह है कि प्रदूषण दिन-प्रतिदिन मंडल में बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है। ऐसे में प्रदूषण लैब होना जरूरी है लेकिन बिना जांच के ही लोग शहर की आबोहवा में रह रहे हैं। वर्तमान समय में प्रदूषण की क्या स्थिति है इसको भी कोई नहीं जानता है। कभी यहां जांच भी नहीं होती है।

केवल तमसा व गंगा के पानी की जांच को भेजा जाता है सेंपल

क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय वाराणसी में तीनों जिलों में लिए गए पानी के नमूने की जांच की जाती है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आजमगढ़ मंडल कार्यालय के रिपोर्ट की माने तो जिस स्थान से तमसा नदी का उद्गम हुआ है, वहां से लेकर आजमगढ़, मऊ व बलिया तक किसी भी औद्योगिक स्थान का प्रदूषित पानी नदी में नहीं गिराया जाता है। इसका प्रमुख कारण इन तीनों शहरों में अभी तक एसटीपी की व्यवस्था न होने से प्रतिदिन कई हजार एमएलडी गंदा पानी का सीवरेज के माध्यम से नदी में गिरना है। पैरामीटर पर पीने के पानी का पीएच सात के आसपास होना चाहिए, जबकि रिपोर्ट में इससे अधिक है। बीओडी (बायो टेक्निकल डिमांड) भी एक लीटर में तीन ग्राम से अधिक पाया गया है। डीओ (पानी में घुलित ऑक्सीजन) भी सात से अधिक है। कुल मिलाकर हमारी आबोहवा व पानी में जहर घुला हुआ है।

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आजमगढ़ मंडल में किसी भी जनपद में लैब नहीं होने से प्रदूषण की जांच नहीं हो पाती है। इसकी वजह से बीमारियों का पांव फैलाना लाजिमी है। केवल तमसा व गंगा के पानी की रिपोर्ट हर माल वाराणसी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय को भेजी जाती है।

--उबैदुल हक सिद्दीकी, वैज्ञानिक सहायक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आजमगढ़ मंडल।


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