आइएएस एके शर्मा के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से अटकलें तेज
जागरण संवाददाता मऊ गुजरात कैडर के 1988 बैच के आइएएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भर
जागरण संवाददाता, मऊ : गुजरात कैडर के 1988 बैच के आइएएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अधिकारी अरविद कुमार शर्मा के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ने प्रशासनिक व सियासी गलियारे में सभी को चौंका दिया है। इससे शर्मा का पैतृक गांव काझाखुर्द भी अछूता नहीं है। जिले में स्थित इस गांव में भी सेवानिवृत्त आइएएस शर्मा की नई पारी को लेकर अटकलें तेज हो गईं हैं।
जिले की मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर विकास खंड अंतर्गत काझाखुर्द गांव के रहने वाले स्व. शिवमूर्ति राय व शांति देवी के बड़े बेटे अरविद कुमार शर्मा का जन्म वर्ष 1062 में 11 अप्रैल को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय प्राथमिक विद्यालय से हुई। इसके बाद डीएवी इंटर कालेज से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने स्नातक के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रूख किया। यहां से राजनीति शास्त्र में परास्नातक करने के बाद वर्ष 1988 में उनका चयन गुजरात कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हो गया। एसडीएम पद पर उनकी पहली तैनाती 1989 में हुई। वह वर्ष 1995 में मेहसाणा के कमिश्नर बने। गुजरात में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने तो उनके कार्यालय के सचिव की जिम्मेदारी एके शर्मा को मिली। वर्ष 2013 में उनको पदोन्नत कर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी दी गई। जून 2014 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव बना दिया गया। वर्तमान में वह प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव थे।
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बोले काझाखुर्द के ग्रामीण
अरविंद कुमार शर्मा की प्रतिभा पर पूरा भरोसा है। वीआरएस लेने से पहले उन्होंने निश्चित तौर पर कुछ ऐसा सोचा होगा जिससे फिर से उनके मित्रों व गांव को गौरवान्वित होने का मौका मिलेगा।
-नरेंद्र तिवारी, काझाखुर्द। एके शर्मा के इस कदम से सभी आश्चर्यचकित हैं। उनकी उपलब्धियों से पूरा गांव गौरवान्वित होता रहा है। वह काझाखुर्द के सपूत हैं। उन्हें लंबी उम्र मिले ताकि काझाखुर्द गांव ही नहीं पूरा देश उनकी प्रतिभा से लाभान्वित हो सके।
-रामसनेही राय, पूर्व प्रधानाध्यापक, काझाखुर्द।
एके शर्मा एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। पूरे गांव को उनके कार्यकाल की हर उपलब्धि पर गर्व है। ऐसे सपूत को जन्म देने का सौभाग्य किसी-किसी गांव और माता-पिता को मिलता है। अरविद अपने अगले कदम से भी हमें निश्चित रूप से गौरवान्वित होने का मौका देंगे।
-तारकेश्वर राय, अधिवक्ता, काझा खुर्द।