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पं. रामविलास के बेबाक अंदाज से डरते थे सभी

ठीक आठ वर्ष पूर्व की बात है जब अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिलाने वाले जांबाज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. रामविलास पांडेय ने अंतिम सांस ली।ेकिह

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 07:00 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 07:00 PM (IST)
पं. रामविलास के बेबाक अंदाज से डरते थे सभी
पं. रामविलास के बेबाक अंदाज से डरते थे सभी

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : ठीक आठ वर्ष पूर्व की बात है जब आठ नवंबर 2011 को अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिलाने वाले जांबाज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. रामविलास पांडेय ने अंतिम सांस ली। स्पष्टवादिता, आदर्श एवं ईमानदारी कीे सजीव उदाहरण रहे पं. रामविलास पांडेय एक लेखक, विचारक एवं राजनेता होने के साथ ही सच कहने से गुरेज नहीं करते थे। उनके इस बंबाक अंदाज से सभी सहमते थे। 'जब बागे हिद वीराना था, दुश्वार किसी का गाना था। उस दौर की सूखी डालों पर तेरा ही मस्त तराना था।' उनकी जीवन गाथा को काफी हद तक बयान करता है।

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आजादी की जंग के पुरोधा रहे पूर्व मंत्री पं. रामविलास पांडेय एक जुलाई 1918 को इटौरा बुजुर्ग में पैदा हुए हालांकि उनकी कर्मस्थली घोसी रही है। परतंत्र भारत में राजनीतिक गुरु सहदेव राम के सानिध्य में आजादी की बिगुल बजाया तो 17 मई 1940 को छह माह की कड़ी कैद मिली। फरवरी 1943 में 12 वर्ष की कैद (हालांकि 1946 में रिहा) मिली। 15 अगस्त 42 को मधुबन थाना के घेराव के बाद तो मानों आजादी के इस परिदे ने हर बंधन को तोड़ दिया। जेल में मिलने आए अंधे मां एवं पिता ने स्पष्ट कहा कि मां भारती को गुलामी के बंधन से मुक्त करना प्रथम जीवन लक्ष्य है। जिदा रहा तो इसके बाद माता-पिता की सेवा करना दूसरा फर्ज है, क्योंकि मां भारती ही प्रथम मां है। इकलौता पुत्र होने के कारण मां ने शादी करने का प्रस्ताव रखा तो आजादी के इस दीवाने ने आजाद भारत में ही परिणय सूत्र में बंधने की मंशा जाहिर कर चुप कर दिया। मां भारती के इस सपूत ने इस वचन को निभाया और आजाद भारत में ही सिर पर सेहरा बांधा। इंदारा, खुरहट, एवं खुरासो कांड सहित अन्य कई घटनाओं को अंजाम देने के बाद गिरफ्तार हुआ तो आजादी के इस दीवाने ने जेलर को थप्पड़ मार अपने तेवर का प्रदर्शन किया। आजाद भारत में 1948 में जिला परिषद के प्रथम बार सदस्य बने। 18 वर्ष तक इस पद पर रहे। 1962 में दो वर्ष हेतु विधान परिषद सदस्य बने। 1969 में विधान सभा क्षेत्र घोसी का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान चंद्रभान गुप्त के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री रहे। प्रदेश एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य सहित जीवन के अंतिम क्षण तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष रहे। 19 दिसंबर 2010 को एआइसीसी की बैठक में इनकी बेबाक टिप्पणी ने कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर सभी नेताओं को झंकृत कर दिया था। श्रद्धांजलि सभा आज सुबह 10 बजे

उनकी पुण्यतिथि पर शुक्रवार की सुबह दस बजे से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई है। श्रद्धांजलि सभा का शुभारंभ पूजन के साथ होगा। स्थानीय नगर में उनके आवास पर आयोजित होनी वाली इस सभा की जानकारी उनके पुत्र रमेश चंद्र पांडेय ने दी है।


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