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बुढ़ी मांगे नाती, तरुनि मांगे बेटा, बिटिया जे मांगेली भाई-भतीजा..

छठ महापर्व.. -संतति संरक्षण संवर्धन के तपपर्व सूर्यषष्ठी पर आस्था का अलौकिक माहौल

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 06:59 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 06:59 PM (IST)
बुढ़ी मांगे नाती, तरुनि मांगे बेटा, बिटिया जे मांगेली भाई-भतीजा..
बुढ़ी मांगे नाती, तरुनि मांगे बेटा, बिटिया जे मांगेली भाई-भतीजा..

छठ महापर्व..

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-संतति संरक्षण, संवर्धन के तपपर्व सूर्यषष्ठी पर आस्था का अलौकिक माहौल

-नदी, जलाशय, पोखरा घाटों पर दिखे आस्था के विविध रंग

-नगर सहित गांव का माहौल भी पूरी तरह भक्तिमय बना रहा

जागरण संवाददाता, मऊ : संतति संरक्षण, संवर्धन का अलौकिक तपपर्व सूर्यषष्ठी पर नदी जलाशय पोखरा घाटों के साथ ही कुओं व घरों के समीप बने कृत्रिम जलाशयों पर यथास्थिति व्रती महिलाओं ने अस्त होते आदित्य को अ‌र्घ्य निवेदित किया। दोपहर बाद से ही जब सजी धजी श्रृंगार किए महिलाएं बच्चों के साथ घाटों की ओर चल पड़ीं और घर के पुरुष सदस्य सिर पर दौरा उठाए श्रद्धा के साथ घाट की ओर बढ़े चलते रहे तो इस दरमियान घर से लेकर घाट तक आस्था और लोकपर्व के विभिन्न रंग अपनी छटा बिखेरते नजर आए।

सामान्य पूजा के साथ ही कई घरों में मनौती पूरी होने पर कोसी भरने का भी कार्यक्रम था। गन्ने पर चुनरी संग दौरा ढके इस परिवार की महिलाएं हाथ में लोटा लिए चल रही थीं। पीछे से बैंड बाजे के साथ हुजूम अनोखा माहौल बनाए हुए था। 'कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय..' के साथ ही अन्य कर्णप्रिय छठ गीतों से पूरा वातावरण आस्था का अ्दभुत नजारा पेश कर रहा था। पूरा नगर जैसे सूर्योपासना के इस पर्व का हर क्षण अपनी आंखों में समेट लेना चाहता था। सास, दादी़ अम्माओं के साथ बहुरिया भी सज धज कर गीत गाते आस्था के महापर्व में अहम भूमिका निभा रही थीं। 'बूढि़ मांगे नाती तरुनि मांगे बेटा बिटिया जे मांगेली भाई रे भतीजा ए छठि माता..' इस आंचलिक गीत में इस तप पर्व का पूरा मंतव्य ही समाया हुआ है। संतति वृद्धि उनके संरक्षण सुमंगल के लिए इस कठिन व्रत पर नगर सहित गांव का माहौल भी पूरी तरह भक्तिमय बना रहा। मनौती के अनुसार संतान प्राप्ति के बाद कई महिलाएं भूंइपरी पड़ घाट तक पहुंचीं। नगर के भीटी से हनुमान घाट तक तमसा के तट पर अदभुत नजारा बना रहा। इसके साथ ही ब्रह्मस्थान पोखरा, शीतला माता मंदिर पोखरा, पक्का पोखरा पर भीड़ उमड़ी। मुहल्लों कालोनियों में छठपूजा का आध्यात्मिक वातावरण रहा। नगर, कस्बा, गांव हर जगह भक्तिमय माहौल रहा। बेदी पूजन कर सुपली में केला, नारियल, सेब, अमरस, शरीफा, अनन्नास, सिघाड़ा, आंवला आदि समस्त ऋतुफल, ठेकुआ, मिष्ठान आदि रखकर भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य निवेदित कर सुमंगल कामना किया। शनिवार को उदीयमान आदित्य को अ‌र्घ्य निवेदित कर सिदूर व खोंइछा भराई, प्रसाद वितरण के उपरांत पारण से चार दिनी यह महापर्व संपूर्ण होगा।


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