अब पुराने एनएच पर राह होगी सुगम, काम शुरू
जागरण संवाददाता मऊ वर्षों से उपेक्षित वाराणसी-गोरखपुर पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलन
जागरण संवाददाता, मऊ : वर्षों से उपेक्षित वाराणसी-गोरखपुर पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलना अब सुगम होगा। राजमार्ग को फोरलेन में तब्दील किया जा रहा है, सो जनपद में तीन बाइपास बन रहे हैं। मऊ नगर, घोसी व दोहरीघाट में फोरलेन बाइपास के रास्ते निकल रहा है जो शहर के बाहर से ही निकल जाएंगे। ऐसे में शहर के बीच से गुजरा पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग जीर्ण-शीर्ण पड़ा रहा। अब पुराने एनएच की मरम्मत लोक निर्माण विभाग कराएगा। इसके लिए बकायदा स्टीमेट बनाकर लागत की अधिकतर धनराशि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने लोक निर्माण विभाग को सौंप दिया है। अब लोक निर्माण विभाग पुराने एनएच का डीबीएम (डेंस बीटीमनस मैटेरियल) व बीसी (बेयरिग कोट) का कार्य करेगा। शुक्रवार को बकवल में एनएच पर लगे पत्थरों को जेसीबी से हटाने का काम शुरू हो गया था। साथ ही एनएच के किनारे गिट्टियां गिरा दी गई है।
वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने वाराणसी-गोरखपुर राजमार्ग को फोरलेन में तब्दील करना शुरू किया। इसके तहत मऊ नगर के बाहर यानि बढुआगोदाम से कोपागंज के बाहर तक बाइपास बनाया जा रहा है। इसी प्रकार घोसी व दोहरीघाट नगर पंचायत के बाहर से बाइपास बनाए जा रहे हैं। इसे लेकर फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन बीएस संधू व लोक निर्माण विभाग के प्रमुख निखिल रमेश गोकर्ण की बैठक हुई। इसमें प्राधिकरण के चेयरमैन ने 24.92 किलोमीटर पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग को लोक निर्माण विभाग को हैंडओवर कर दिया। साथ ही एनएचएआइ ने स्टीमेट के अनुसार मरम्मत लागत की 50 फीसदी धनराशि यानि 10 करोड़ रुपये भी लोक निर्माण विभाग को दे दिए। अब लोक निर्माण विभाग एनएचएआइ से मिली धनराशि से पुराने एनएच की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए जगह-जगह गिट्टियां भी गिरा दी गई हैं। जल्द ही पुराने राजमार्ग की मरम्मत होने से यह चलने योग्य सुगम हो जाएगा। प्वाइंटर--
24.92 - किलोमीटर है लंबाई पुराने एनएच की
20.78 - करोड़ कुल लागत वर्जन--
एनएचएआइ ने पीडब्ल्यूडी को राष्ट्रीय राजमार्ग को हिस्सा हैंडओवर किया है, उसकी मरम्मत कराई जा रही है। इसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। बढ़ुआगोदाम से लगायत दोहरीघाट तक फोरलेन से छूटे पुराने मार्ग की मरम्मत की जाएगी।
- जेके सिंह, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग।