अब 60-40 के रेशियो को मेंटेन करेंगी ग्राम पंचायतें
मनरेगा यानि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 60-40 का रेशियो अब ग्राम पंचायत स्तर पर ही मेंटेन होगा। बीते अगस्त माह में जनपद के सवा दो सौ ग्राम पंचायतों द्वारा रेशियो तार-तार किए जाने को जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। लगभग एक सप्ताह तक चले समाचारीय अभियान का शासन ने संज्ञान लिया है।
जागरण संवाददाता, मऊ : मनरेगा यानि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 60-40 का अनुपात अब ग्राम पंचायत स्तर पर ही व्यवस्थित करना होगा। बीते अगस्त माह में जनपद के सवा दो सौ ग्राम पंचायतों द्वारा इस मानक अनुपात को तार-तार किए जाने को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। लगभग एक सप्ताह तक चले समाचारीय अभियान का शासन ने संज्ञान लिया है। ग्राम्य विकास आयुक्त के रवींद्र नायक ने सभी जनपदों के जिलाधिकारी व जिला कार्यक्रम समन्वयक को पत्रक जारी कर श्रम-सामग्री अनुपात प्रत्येक दशा में ग्राम पंचायत स्तर ही बनाए रखने का निर्देश दिया है।
केंद्र सरकार की महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का उद्देश्य है कि गांव के गरीब मजदूरों को पांच किलोमीटर के दायरे में 100 दिन का काम दिया जाए। ताकि शहरों की तरफ पलायित हो रही बहुसंख्य मजदूर वर्ग को रोका जा सके। मनरेगा एक्ट के तहत गांवों में 60 फीसदी धनराशि कच्चे कामों पर खर्च करना है। मंशा है कि कच्चा काम होगा तो अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार मिलेगा। जबकि मात्र 40 फीसदी ही धनराशि मिस्त्री व मैटेरियल पर खर्च करनी होती है परंतु ब्लाक मुख्यालयों के चहेते गांवों में प्राइवेट फर्मों के नाम करोड़ों रुपये धड़ाधड़ भुगतान कर लिए जाते हैं। इसमें चंद पंचायतों को अगर छोड़ दिया जाए तो अधिकतर ग्राम पंचायतों में पक्के कामों की बिल लगाकर ईंट-भट्ठों, बिल्डिग मैटेरियल, सरिया व इंटरलाकिग की फर्मों के नाम पेमेंट होता है। वहीं अधिसंख्य ग्राम पंचायतें ऐसी रह जाती हैं जहां सामग्री मद में भुगतान ही नहीं होता।
इनसेट--
पिछले वर्ष टूटा था जनपद का अनुपात
वित्तीय वर्ष 2018-19 में जनपद के तीन ब्लाकों ने मनरेगा एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ाई। इसमें कोपागंज, घोसी व परदहां विकास खंड में 60-40 का रेशियो जमकर तोड़ते हुए प्राइवेट फर्मों पर धनवर्षा की गई। इसमें जनपद की कुल 293 ग्राम पंचायतों में श्रम मद में 59.09 फीसदी तथा सामग्री मद में 40.91 फीसदी का भुगतान किया गया।
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अब तक जिले पर मेंटेन करने का था बहाना
अभी तक विकास खंड मुख्यालयों को अपने चहेते ग्राम पंचायतों पर धनवर्षा की छूट मिली थी। बहाना था कि जिला स्तर पर श्रम-सामग्री का रेशियो मेंटेन किया जाता है। इसकी छांव लेकर विकास खंड मुख्यालय चिह्नित ग्राम पंचायतों में मैटेरियल मद पर पैसे लुटाती थी। इसमें टॉप टू बाटम बड़े पैमाने पर चढ़ावा का खेल होता था पर अब ग्राम विकास आयुक्त ने मनमानी पर नकेल कसी है।
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99 फीसदी तक हुए पक्के काम
भले ही केंद्र सरकार मजदूरों की मजदूरी पर अधिक से अधिक धनराशि खर्च करने का प्रावधान की हो परंतु रानीपुर खंड विकास कार्यालय की महिमा अपार है। यहां कई गांवों में पूरे के पूरे रुपये पक्के कामों पर खर्च कर दिए गए। इसमें बस्ती ग्राम पंचायत में 92.32, काझा खुर्द में 93.79, सुल्तानपुर में 91.67, चाल्हा में 95.64 फीसदी तक धनराशि खर्च कर दी गई। जबकि खीरखाड़ में सारे मानकों को धता बताते हुए 99.41 फीसदी तक रुपये पक्के कामों पर डकार लिए गए। इसी तरह अमीरहां में 15.49 लाख, छपरा चक बदरुद्दीन में 6.47 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। हास्यास्पद यह है कि 60 फीसदी धनराशि मजदूरों की मजदूरी पर खर्च करने के सापेक्ष मात्र 0.59 फीसदी ही खर्च किया गया।
प्वाइंटर--
वित्तीय वर्ष 2019-20 में ब्लाकवार 60:40 रेशियो को तोड़ने वाली ग्राम पंचायतों की सूची--
ब्लाक - मानक तोड़ने वाले गांवों की संख्या - कुल ग्राम पंचायतें
1- बड़रांव - 32 - 72
2- दोहरीघाट - 37 - 74
3- फतहपुर मंडाव - 27 - 79
4- घोसी - 17 - 72
5- कोपागंज - 21 - 81
6- मुहम्मदाबाद गोहना - 11 - 83
7- परदहां - 13 - 51
8- रानीपुर - 61 - 89
9- रतनपुरा - 31 - 77