एनएचएआइ ने ही फंसाया है भुगतान में पेच
जागरण संवाददाता घोसी (मऊ) कहीं एनएचएआइ के रवैए को लेकर उपवास तो कहीं धरना और नि
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : कहीं एनएचएआइ के रवैए को लेकर उपवास तो कहीं धरना और निर्माण कार्य रोकने को ग्रामीणों का जत्था उतर रहा है। प्रशासनिक अधिकारी मय पुलिस बल पहुंचते हैं और वार्ता के बाद भुगतान का आश्वासन मिलता है। यह हाल महज घोसी क्षेत्र कें मदापुर, कुसुम्हा या लाखीपुर या तिलई में ही नहीं वरन जिले के विभिन्न स्थानों पर है।
दरअसल, ग्राम पंचायत लाखीपुर के राजस्व ग्राम तिलई बुजुर्ग, नेवादा एवं लाखीपुर के तमाम किसानों की अधिग्रहित भूमि की मुआवजा दर बगल की ग्राम पंचायतों के लिए निर्धारित दर से काफी कम है। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश बिदु ने 23 मार्च 2018 को 75 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर सर्किल दर निर्धारित करते हुए निर्णय सुनाया।
उन्होंने इस निर्णय के परिपेक्ष्य में 04 जून 18 को सक्षम प्राधिकारी को धन आवंटित कर भुगतान हेतु पत्र प्रेषित किया। इसके लगभग 21 माह बाद एनएचएआइ ने बिना किसी नोटिस के सर्किल रेट को अपने स्लैब के अनुसार लागू किया। इसकी जानकारी होने पर किसानों ने 04 जनवरी 20 को जिलाधिकारी के समक्ष आपत्ति दायर की।
तत्कालीन जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने जून 2020 में 23 मार्च 18 के निर्णय को कायम रखा। इसके विरोध में एनएचएआइ ने जिला जज के समक्ष वाद दायर कर दिया। इस बीच 19 सितंबर को एनएचएआइ ने यहां पर निर्माण प्रारंभ कर दिया। बिना भुगतान निर्माण के विरोध में ग्रामीण उतर गए। निर्माण कार्य रूक गया। उधर 23 सितंबर 2020 को अदालत ने एनएचएआइ की याचिका खारिज कर दिया। एनएचआइ ने आठ जनवरी को भी बिना भुगतान कार्य प्रारंभ किया। फिर ग्रामीण सड़क पर उतरे। सदर तहसील अंतर्गत कोपागंज क्षेत्र के रेवरीडीह में तो किसान उपवास पर बैठ गए। इसी क्षेत्र के काछीकलां के तमाम किसानों को देय राशि का 80 फीसद ही भुगतान मिल सका है। कोपागंज क्षेत्र के ही भदसा से लेकर ढेकवारा तक अधिग्रहित एक दर्जन किसानों की भूमि का भुगतान बाधित है। घेासी क्षेत्र के अरियासो निवासी रणजीत सिंह, महेंद्र सिंह एवं दुर्गविजय सिंह का चक लाखीपुर में है। इनके साथ तो विभाग ने अजीब खेल खेला है। गजट में इन किसानों की कम भूमि अधिग्रहण का प्रकाशन हुआ पर एनएचएआइ ने अधिक भूमि पर निशान लगाया है। यह सभी किसान 0.032 हेक्टेयर अधिक अधिग्रहित की गई भूमि के भुगतान के लिए अभी तक चक्कर लगा रहे हैं। कमोबेश यही हाल थानीदास एवं कुसुंहा का है। थानीदास के एक व्यक्ति को तो शांतिभंग की आशंका में 14 दिनों के लिए जेल भी भेजा जा चुका है। मदापुर में भी गत सप्ताह अधिक भूमि पर निर्माण का प्रकरण सामने आया। सवाल यह कि एक तरफ भुगतान नहीं हो रहा है तो दूसरी ओर पुलिस एवं प्रशासन का भय दिखाकर बिना भुगतान निर्माण कराने की रणनीति अपना रहे हैं।