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बहुत सताते हैं मेरे बीते गौरवशाली दिन

मैं मऊ हूं। यह नाम मुझे 19 नवंबर 19

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 07:14 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:08 AM (IST)
बहुत सताते हैं मेरे बीते गौरवशाली दिन
बहुत सताते हैं मेरे बीते गौरवशाली दिन

अरविद राय, घोसी (मऊ) :

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मैं मऊ हूं। यह नाम मुझे 19 नवंबर 1988 को मेरे ही एक लाल ने दिया। इसी दिन मुझे स्वतंत्र जिला होने का गौरव मिला। हालांकि मेरा वजूद मऊनाथ भंजन के रूप में त्रेता एवं द्वापर काल से रहा है। जिला बनने के बाद तो मानों मुझे विकास के पंख लग गए। अफसोस कि मेरा एक बेटा अंतरिक्ष में विलीन क्या हुआ, मेरा बदलता नक्शा मुझे डराने लगा है। एक के बाद एक वह सब कुछ जिसके लिए मुझे जाना जाता रहा, समाप्त होता चला गया। मैं बदहवास अपने बेटों की तरफ निहारता रहा। किसी ने सोचा तक नहीं। बस सियासत की चौरस पर मेरी संतानें आपस में एक-दूजे की टांग खींच झूठी वाहवाही में लगी रहीं। अब तो मेरा खोया सुनहरा अतीत लौटा दो। आखिर कब आएगा वह दिन जब मैं शान से कहूं कि मैं ही मलिक ताहिर की नगरी मऊ। अब तो बीते गौरवशाली दिन मुझे बहुत सताते हैं।

राजा दशरथ के शासनकाल में महर्षि वाल्मिकी से लेकर महाभारत में पांडवों और राजा विराट को देखने के बाद मैंने मौर्य और गुप्त वंश का उत्थान और पतन भी देखा। 1028 में बाबा मलिक ताहिर की सेना और मऊ नट के बीच भीषण संग्राम के बाद मेरा नाम मऊनाथ भंजन हुआ। बादशाह शेरशाह सूरी और सूफी मीराशाह से लेकर माहबानो और बादशाह की दुख्तर जहांआरा बेगम तक को मेरी नजरों ने देखा। आजमशाह के अधीन रहा और अंग्रेजों के जुल्म-ओ-सितम को देखा। मुझे गर्व है कि आजादी की जंग में मेरी संतानों ने 1942 में ब्रिटिश हुक्मरानों की गोली सीने पर खाई पर पीठ न दिखाई। मेरी कोख ने पं.अलगू राय शास्त्री से लेकर जयबहादुर सिंह, झारखंडे राय सहित सैकड़ों ऐसे सपूतों को जना कि इतिहास आज भी नतमस्तक होता है। अब आजादी के बाद की बात बताता हूं। आज के नौजवानों को मालूम भी न होगा कि 1950 में पं.नेहरू ने इसे मैनचेस्टर कहा तो मेरे नाम पर बसे शहर में कोयला से प्रतिदिन पांच मेगावाट बिजली बनने लगी। अब यह नक्शा से गायब है। जनपद की स्थापना के बाद मेरे बेटे कल्पनाथ राय ने मुझे इतराने को बुहत कुछ दिया पर उसके गोलोकवासी होते ही मेरे पराभाव की गिनती प्रारंभ हो गई। मेरा गौरव भरा अतीत मुझे गौरवांवित करता है पर वर्तमान देख मैं शर्मशार हूं। अब तो चेत जाओ और सुनो मेरी पुकार। दे दो मुझे मेरा खोया अतीत। फिर सब कहें कि मऊ जैसा मऊ कहीं नहीं और मैं दूं तुम्हें आशीष।

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क्या पाया

-जिले की स्थापना के बाद जिला जेल, सदर अस्पताल, मधुबन तहसील की स्थापना।

-11 अप्रैल 1992 को सौर उर्जा केंद्र सरायसादी की स्थापना।

-1994 में चीनी मिल घोसी की पेराई क्षमता में दोगुनी वृद्धि।

-आलीशान मऊ रेलवे स्टेशन।

-राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो, कुशमौर।

-राष्ट्रीय बीज विज्ञान संस्थान, कुशमौर।

-कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी।

-तीन ओवरब्रिज।

-प्रत्येक 10 किमी पर एक दूरभाष केंद्र।

-400 केवी पावर हाउस कसारा।

-औद्योगिक आस्थान मऊ एवं औद्योगिक क्षेत्र मऊ।

-आधुनिक तकनीक युक्त दूरभाष केंद्र।

-सेमरीजमालपुर एवं टड़ियांव में पीसीएफ कोल्ड स्टोरेज।

-दोहरीघाट में डीसीएफ कोल्डस्टोरेज। क्या खोया

-स्वदेशी काटन मिल सहादतपुरा एवं स्टेट स्पिनिग मिल परदहां।

-सेमरी जमालपुर एवं टड़ियांव में पीसीएफ कोल्ड स्टोरेज। दोहरीघाट में डीसीएफ कोल्डस्टोरेज।

-गन्ना अनुसंधान केंद्र।

-बर्बाद हो चुका सरायसादी का सौर ऊर्जा केंद्र।

-वर्ष 06-07 में प्रस्तावित कृषि विश्वविद्यालय।

-दोहरीघाट में प्रस्तावित 1320 मेगावाट थर्मल पावर।


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