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200 से अधिक एचआइवी पाजिटिव गभर्वती बनीं मुसीबत

जागरण संवाददाता मऊ जनपद में एचआइवी पाजिटिव 200 से अधिक गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य विभाग के लिए

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 05:39 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 05:39 PM (IST)
200 से अधिक एचआइवी पाजिटिव गभर्वती बनीं मुसीबत
200 से अधिक एचआइवी पाजिटिव गभर्वती बनीं मुसीबत

जागरण संवाददाता, मऊ : जनपद में एचआइवी पाजिटिव 200 से अधिक गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य विभाग के लिए मुसीबत बन गई हैं। यह महिलाओं से अधिक से अधिक संक्रमण फैलने का अंदेशा बना हुआ है। हालांकि विभाग की तरफ से हर संभव इसके प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल पिछले एक साल में एसआइवी पाजिटिव मरीजों की बढ़ती तादाद विभाग के लिए चिता बनी हुई है। जनवरी माह से अब तक 300 से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं। कुल एड्स पीड़ित मरीजों की संख्या लगभग 2550 तक पहुंच गई है। इसमें परदहां ब्लाक संक्रमण में सबसे ज्यादा संवेदनशील है।

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जिला अस्पताल स्थित एआरअी सेंटर की माने तो पिछले वर्ष लगभग 2250 एचआइवी पाजिटिव थे। इस साल करीब 300 मरीजों का इजाफा हुआ है। पिछले तीन साल के आंकड़ों को देखें तो हर साल पाजिटिव मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यही नहीं जनपद में करीब 200 गर्भवती महिलाएं भी एचआइवी पाजिटिव हैं। इनसे ज्यादा खतरा है। वर्ष 2017-18 में कुल 6097 लोगों की जांच की गई। इसमें 2651 जनरल क्लाइंट एवं 3446 गर्भवती शामिल थीं। इसमें कुल 39 लोग पाजिटिव पाए गए। इसमें 29 सामान्य एवं 10 गर्भवती महिलाएं शामिल थीं। इसमें इसमें अधिकांश माइग्रेंट एचआइवी पाजिटिव पाए गए है। वर्ष 2018-19 में कुल एचआईवी जांच 7061 की हुई है। इसमें 3590 सामान्य और 3571 गर्भवती महिलाओं की हुई। कुल 61 लोग एचआइवी पाजिटिव पाए गए है। इसमें 53 जनरल क्लाइंट एवं आठ गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। 2019-20 में -8874 की जांच की गई। इसमें 57 पाजिटिव पाए गए। 2020-21 में 5663 की जांच की गई। इसमें 101 पाजिटिव पाए गए। यह केवल महिला अस्पताल का आंकड़ा है। इसके अलावा जिला अस्पताल में भी इसकी जांच की जाती है। महिला अस्पताल की काउंसलर वंदना श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड संक्रमण के दौरान तमाम लोग विभिन्न प्रांतों से वापस घर लौटे थे। इसकी वजह से यह अपने परिवार में संक्रमण फैला दिए हैं। इसकी वजह से गर्भवती की संख्या में ज्यादा इजाफा हो गया है।

-एचआइवी पाजिटिव में प्रतिरोधक क्षमता हो जाती है कम

यह बीमारी ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआइवी के कारण होती है। एचआइवी संक्रमण होने के तुरंत बाद यह एक 'फ्लू' जैसी बीमारी होती है। फ्लू केवल कुछ दिनों तक रहता है और बहुत हल्का होता है। इस कारण लोग इसे पहचान नहीं पाते। यह वायरस धीरे-धीरे व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम कर देता है। जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है कि वह संक्रमण का विरोध नहीं कर पाता। एचआइवी संक्रमण को एड्स तक पहुंचने में आठ से नौ साल लग जाते हैं।

पाजिटिव में अधिकतर पेशे से हैं ड्राइवर

काउंसलर वंदना की मानें तो जनपद में बहुत से ऐसे केस मिले जिनसे बात करने के बाद यह पता चला कि उनके पति बाहर प्रदेशों में काम करते हैं। ड्राइवर हैं या किसी भी पेशे में हैं। वह सबसे ज्यादा संक्रमण फैला रहे हैं। एक से अधिक महिलाओं से यौन संबंध रखने से एचआइवी संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है। एचआइवी पाजिटिव पिता/माता गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, वेश्यावृति असुरक्षित यौन संबंध से या संक्रमित रक्त या संक्रमित सुई के प्रयोग से संक्रमण फैल रहा।


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