Move to Jagran APP

पशुपालकों व डेयरी उद्योग पर छाया संकट

जागरण संवाददाता मऊ सब्जी उत्पादकों एवं पशुपालकों परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 04:54 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 04:54 PM (IST)
पशुपालकों व डेयरी उद्योग पर छाया संकट
पशुपालकों व डेयरी उद्योग पर छाया संकट

जागरण संवाददाता, मऊ : सब्जी उत्पादकों एवं पशुपालकों परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है। खेतों में तैयार सब्जी को जहां मंडी नहीं मिल पा रही है, वहीं दूध के बड़े खरीदारों की दुकानों पर ताले लटक रहे हैं। लाकडाउन के चलते सब्जी उत्पादक किसानों एवं डेयरी संचालकों का संकट बढ़ता ही जा रहा है। जिले के सीमांत किसानों का कृषि के साथ-साथ पशुपालन ही प्रमुख व्यवसाय है। जब दूध बिकेगा ही नहीं तो बड़ी बात यह है कि पशुओं को पशुपालक क्या खिलाएंगे। कोरोना के चलते बदली जीवन शैली में ज्यादातर लोगों ने बाजार में बिकने वाली मिठाइयों से दूरी बना लिया है। मिष्ठान कारोबारी अरविद साहनी ने बताया कि बाजार में 25 प्रतिशत मिठाइयों की भी बिक्री नहीं रह गई है। दूध लेकर क्या करेंगे, जब मिठाइयां बिक ही नहीं रही हैं। अच्छेलाल, धनंजय, पंकज आदि मिठाई विक्रेताओं ने भी यही बात कही। मांगलिक आयोजनों के चलते भी पहले दूध की अच्छी-खासी मांग रहती थी। इस बार कोरोना की दूसरी लहर के चलते मांगलिक आयोजन किसी तरह हो तो रहे हैं, लेकिन केवल निबटाऊ व्यवस्था के तहत। पहले जहां हर शादी में 300 से 500 लोगों का शामिल होना आम बात थी, वहीं अब 50 लोगों के बीच ही सबकुछ निपट जा रहा है। यही हाल सब्जी का है। खपत घट गई है। शादियों में हरी सब्जियों की खूब मांग होती थी, लेकिन अबकी मांगलिक आयोजनों का आकार सिमटने से मांग भी काफी कम हो गई है। होटल ढाबे भी बंद हैं। खीरा, लौकी, बोड़ा, नेनुआं, कद्दू आदि किसानों ने इतना अधिक बो दिया है कि अब इसकी खपत को लेकर परेशान हैं।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.