विलुप्त हो रही पारंपरिक मल्ल विधा
जागरण संवाददाता रामपुर बेलौली फतहपुर मंडाव ब्लाक अंतर्गत मर्यादपुर ग्राम पंचायत के राजस्व
जागरण संवाददाता, रामपुर बेलौली :
फतहपुर मंडाव ब्लाक अंतर्गत मर्यादपुर ग्राम पंचायत के राजस्व गांव अंजोरपुर में वह अखाड़ा आज भी है, जहां बारहों महीने सुबह से ही पहुंच कर पहलवान अखाड़ा में ताल ठोंकते थे। आषाढ़ माह से सावन माह की नागपंचमी तक तो वे सुबह-शाम दोनों वक्त अखाड़े में दांव व जोर आजमाइश किया करते थे। यहीं नहीं लगभग हर गांव अखाड़ा से सुशोभित हुआ करते थे। मगर आज मल्ल विद्या के मायने बदल गए हैं। खुले आसमान के नीचे व्यायाम करने की अपेक्षा युवा अब जिम में कसरत करना पसंद कर रहे हैं। मगर आज भी ऐसे लोग हैं जो अखाड़े को जीवंत किए हुए हैं और समय समय पर दंगल का आयोजन करते हैं। ऐसे में अंजोरपुर के प्रधान नागपंचमी पर होने वाले दंगल के लिए अखाड़े को सजाने में जुटे हुए हैं। नागपंचमी पर अखाड़ों में पहले पहलवान उतरते थे। बकायदा प्रतियोगिता होती थी।
अंजोरपुर गांव निवासी 65 वर्षीय छोटेलाल यादव भेखा बताते हैं कि पहले सभी लोग अपने बेटों को बलवान बनाने का शौक रखते थे। ऐसे में पहलवानी के लिए नामी गिरामी गुरु से प्रशिक्षण दिलाते थे। हमारे गांव के अखाड़े में उस समय बलिया जिले के ईशा नेटुवा को गुरु के रुप में रखा गया था। इस अखाड़े से बुद्धिराम यादव, रामपति राजभर, सुल्तान अहमद, चंद्रदेव यादव, पतिराम यादव, नन्हकू, नारायन , दुब्बर राजभर जैसे नामी गिरामी पहलवान हुए।
गांव के अखाड़ा के बगल में नाग देवता का पुराना मंदिर है। यहां नागपंचमी को कुश्ती दंगल प्रतियोगिता व मेला का आयोजन होता है। नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान अजीत मौर्य मेला स्थल संग अखाड़ा को सुंदर बनाने के लिए मिट्टी पटवा रहे हैं। इससे मेला में किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। कोरोना की स्थिति देखते हुए इस साल कुश्ती दंगल प्रतियोगिता व मेला का आयोजन होगा।