घरों में मनाई गई भगवान परशुराम जयंती
अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष की प्रतिमूर्ति महर्षि परशुराम की जयंती पर लॉकडाउन के चलते कहीं कोई सामुहिक आयोजन तो नहीं हुआ लेकिन सनातन धर्मावलंबियों ने घरों में ही उनके चित्र के समक्ष पूजन-अर्चन किया।
जागरण संवाददाता, मऊ : अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष की प्रतिमूर्ति महर्षि परशुराम की जयंती पर लॉकडाउन के चलते कहीं कोई सामूहिक आयोजन तो नहीं हुआ, लेकिन सनातन धर्मावलंबियों ने घरों में ही उनके चित्र के समक्ष पूजन-अर्चन किया। इस दौरान लोगों ने भगवान परशुराम से कोरोना के संक्रमण से मानव जाति की रक्षा की प्रार्थना की। वहीं, सोशल मीडिया पर लोगों ने लोगों से घरों में रहने की अपील करते हुए एक-दूसरे को परशुराम जयंती की शुभकामनाएं ज्ञापित कीं। घरों में भगवान परशुराम के चित्र पर पुष्प और चंदन अर्पित कर लोगों ने घी के दीपक जलाए।
दोहरीघाट प्रतिनिधि के अनुसार मादी बाजार में ज्ञानेश उर्फ ज्ञानी ने कहा कि भगवान परशुराम ने मूलत: सामंतवादी एवं आतंकवादी प्रवृति के निर्मूलन के लिए ज्ञान रूपी फरसा एवं धर्म-कर्म रूपी धनुष-बाण धारण किया था। उन्होंने ब्राह्मणों से पुरानी परंपराओं एवं आदर्शों पर लौटने के साथ ही संस्कृत के ज्ञान की ओर मुड़ने का आह्वान किया। भगवान परशुराम ने संपूर्ण मानव समाज को अन्याय का विरोध करने के लिए प्रेरित किया। सूरजपुर प्रतिनिधि के अनुसार सूरजपुर में श्री भागवत राय के नेतृत्व में परशुराम जयंती धूमधाम से उनके आवास पर मनाई गई। जिला कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष भागवत राय ने परशुराम के सोलावा रूद्र अवतार मातृ पितृ भक्ति एवं पुरुषार्थ पर अपना वक्तव्य रखें। उनके साथ गांव के विभिन्न वक्ताओं ने श्री परशुराम जी के जीवन के विषय में अपने-अपने विचारों को रखें। वक्ताओं में धीरेंद्र राय उर्फ पप्पू राय, मिथिलेश राय, पाताल राय, आनंद स्वरूप राय, प्रशांत स्वरूप राय, बृजेश राय, पंकज राय, देवीप्रसाद आदि उपस्थित थे।