शिक्षकों की कमी से भी बच्चे नहीं चाहते पढ़ना
जागरण संवाददाता मऊ कक्षा में खड़ा होकर शिक्षक किस तरह छात्रों से संवाद करता है और
जागरण संवाददाता, मऊ : कक्षा में खड़ा होकर शिक्षक किस तरह छात्रों से संवाद करता है और पढ़ाता है, यह पढ़ाए जा रहे विषय से ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब तक 30 मिनट की एक क्लास में यह तय नहीं होगा कि शिक्षक के पढ़ाने का उद्देश्य क्या था और छात्रों को मिला कितना, तब तक पढ़ने-पढ़ाने का कोई अर्थ नहीं है। किसी बच्चे का किसी विषय में या पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो इसके पीछे सिर्फ बच्चा जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वह शिक्षक या उसके पढ़ाने की शैली भी जिम्मेदार हो सकती है।
यह बातें शहर के जीजीआइसी में नवनियुक्त राजकीय शिक्षकों की शिक्षक उन्मुखीकरण कार्यशाला में प्रशिक्षण देते हुए थलईपुर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा.आरएन मिश्रा ने कहीं।
प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षा में नवाचार के लिए बेहतर शिक्षण पद्धतियों का प्रयोग एवं शिक्षक जीवन में अनुशासन बेहद महत्वपूर्ण है। गोपीनाथ महिला शिक्षण संस्थान के प्राचार्य डा.संतोष पांडेय ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक के पास जो भी पाठ्यसामग्री पढ़ानी हो उसकी पूरी तैयारी जरूरी है। प्रशिक्षक एवं प्रधानाचार्य शशिप्रकाश राय ने माइक्रोटीचिग, विद्यालयी संरचना एवं पाठ्यसहगामी क्रियाकलापों पर विस्तृत जानकारी दी। डायट प्रवक्ता संदीप राय ने शिक्षकों से अपने विषय के संबंध में अद्यतन परिवर्तनों से अपडेट रहने का आह्वान किया। इस अवसर पर रेखा गुप्ता, मालती वर्मा, संजय कुमार यादव, गोविद चौहान, आराधना तिवारी, मानवेंद्रनाथ आदि उपस्थित थे।