कैसे बिकेगी धान, पूछ रहा सुखाता व बटोरता किसान
जागरण संवाददाता घोसी (मऊ) शासन के स्थापित धान क्रय केंद्रों पर बेहतर कीमत पाने की आस
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : शासन के स्थापित धान क्रय केंद्रों पर बेहतर कीमत पाने की आस संजोए जिले के धान उत्पादक किसान धान सुखाने से लेकर शाम को एकत्रित कर ढेर लगाने और रात भर इसे ढंकने के बाद सुबह फिर सुखाने के लिए फैला रहे हैं। हाल यह कि इन दिनों धान की कटाई के बाद पराली को खेत से हटाने और रबी की बोवाई करने के बीच धान सुखाने की अनिवार्यता से किसान परेशान हैं।
दरअसल बीते तीन वर्ष से एफसीआइ ने चावल स्वीकार करने के मानक को पंजाब के चावल के समान अनिवार्य कर दिया है। उधर, सहकारिता क्षेत्र में सर्वाधिक 30 धान क्रय केंद्र संचालित हैं। घर के समीप स्थित इन केंद्रों पर धान बेचने को किसान प्राथमिकता देते हैं। उधर सहकारिता विभाग ने जिला खाद्य एवं विपणन विभाग को काफी विलंब से केंद्र के समीप स्थित राइस मिलों का चयन कर प्रस्ताव प्रेषित किया है। प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद ही मिलें संबद्ध होंगी। प्रारंभिक खरीद के बाद कमोबेश हर सहकारी क्रय केंद्र पर स्थानाभाव है। इसके चलते सहकारिता क्षेत्र के केंद्र प्रभारी अब धान खरीद से गुरेज कर रहे हैं। ऐसे में किसान समझ नहीं पा रहा है कि कब तक प्रतिदिन सुखाएं और बंटोरे। कब कहां बेचे धान। इस समस्या के साथ ही धान के मानक को लेकर भी किसान परेशान है। पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली सहित प्रदेश के कुछ पश्चिमी जिलों में धान की अलग प्रजाति एवं कटाई अग्रिम होने के कारण धान में नमी 17 फीसदी या इससे कम होती है। जबकि प्रदेश के पूर्वी भाग में छोटी मंसूरी एमटीयू 1001, एनडीआर 8002 एवं स्वर्णा एमटीयू 7029 प्रजातियों की खेती की जाती है। देर से पकने वाली इन सभी प्रजातियों की कटाई 15 नवंबर के बाद ही प्रारंभ होती है। ऐसे में इनमें नमी की मात्रा न्यूनतम 17 फीसदी रहती है। इससे इतर पंजीकरण, बेचने के दौरान अन्य मानक जैसी बाधाओं को किसान पार करने के बाद अपनी बारी का इंतजार करने को विवश है।
यह है मानक--
विजातीय अकार्बनिक पदार्थ- 1 फीसदी
विजातीय कार्बनिक पदार्थ- 1 फीसदी
क्षतिग्रस्त, बदरंग एवं अंकुरित-5 फीसदी
अपरिपक्व, संकुचित एवं सिकुड़ा-3 फीसदी
निम्न वर्ग का अधिमिश्रण- 6 फीसदी
धान में नमी -17 फीसदी
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सहकारिता विभाग ने रविवार को राइस मिलों के बाबत प्रस्ताव प्रेषित किया है। इस प्रस्ताव को मंगलवार को जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। अनुमोदन के पश्चात राइस मिलों का आवंटन होगा।
- विपुल कुमार सिन्हा, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी