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कूड़े न जलाने का सरकारी फरमान, ब्लाक में ठेंगे पर

कोपागंज ब्लॉक में न तो खंड विकास अधिकारी का पता न सोशल कोआर्डिनेटर का। और तो और वरिष्ठ सहायक भी लापता। एक दो को छोड़कर सेक्रेटरी भी नदारद।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 06:09 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 10:55 PM (IST)
कूड़े न जलाने का सरकारी फरमान, ब्लाक में ठेंगे पर
कूड़े न जलाने का सरकारी फरमान, ब्लाक में ठेंगे पर

जागरण संवाददाता, पुराघाट (मऊ) : कोपागंज ब्लॉक में न तो खंड विकास अधिकारी का पता न सोशल कोआर्डिनेटर का। और तो और वरिष्ठ सहायक भी लापता। एक दो को छोड़कर सेक्रेटरी भी नदारद। नजारा यह कि क्षेत्र के गांवों से आए फरियादी ब्लाक परिसर में इधर-उधर जाकर लोगों से पूछ-पूछ कर परेशान थे कि साहब आए हैं कि नहीं। वहीं ब्लाक में गंदगी और कूड़ों के ढेर को वहीं जलाया जाना सरकार की मनाही के बावजूद जारी है। सबसे बदतर हालात तो खंड विकास अधिकारी आवास का दिखा। लगता है यह जब से बना है, सफाई आज तक नहीं हुई है। मंगलवार को पहुंची जागरण टीम को तो ऐसा ही नजारा दिखा।

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खंड विकास अधिकारी नहीं थे लेकिन उनका कक्ष खुला हुआ था। जो भी उनसे मिलने जाता कुर्सी का अभिवादन कर लौट जाता। पूछने पर ब्लॉक कर्मी बोले कि साहब अभी नहीं आए हैं। वहीं वरिष्ठ सहायक, सोशल कोऑर्डिनेटर की कुर्सी भी खाली दिखी। अपने कामों से गांवों से चलकर ब्लाक मुख्यालय पहुंचे लोग इधर उधर भटक रहे थे लेकिन कोई सुधि लेने वाला नहीं था। कैंपस में गंदगी पसरी थी, वहीं कूड़े-कचरे को एकत्र कर जलाया जा रहा था। इससे पूरे कैंपस में धुंआ फैला हुआ था। पास ही के गांव के रामसरन ने कहा कि एक ओर जहां सरकार आमजन व किसानों को कूड़े-कचरे एवं पराली जलाने पर अर्थदंड लगा रही है वहीं सरकारी परिसर में ही खुलेआम इसका उल्लंघन किया जा रहा है। बीडीओ आवास पहुंचते ही स्वच्छता अभियान का दम टूटा

खंड विकास अधिकारी का आवास बूचड़खाने से कम नहीं लग रहा था। यह स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ा रहा था। जैसे लगा कि यहां आकर प्रधानमंत्री के अभियान ने दम तोड़ दिया है। अधिकारियों को ढूंढते रहे लोग

क्षेत्र के अब्बूपुर से आई सीमा इधर-उधर भटक रही थी। वह सेक्रेटरी को खोजते हुए पूछ रही थी, साहब कहां हैं। उसको शौचालय एवं आवास के बारे में जानकारी चाहिए थी लेकिन कोई बताने वाला नहीं था। वहीं इंदारा से आए रामाधार सेक्रेटरी को सुबह से खोज रहे थे कि साहब कहां हैं लेकिन जब वह पता किया तो वह आए ही नहीं थे। वह कभी खंड विकास अधिकारी के कक्ष में जा रहा था तो कभी वरिष्ठ सहायक के कक्ष में लेकिन दोनों लोग गायब थे। खाली कुर्सियां लोगों का मजाक उड़ा रही थीं।


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