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तीसरी बार घोसी में बाहरी होगा अंदर

सत्रहवीं लोकसभा चुनाव के पूर्व ही बाहरी भगाओ मऊ बचाओ का दिया गया नारा बेदम साबित हुआ। पृथक पूर्वांचल राज्य की तरह यह मुद्दा भी न तो मतदाताओं की जुबान पर चढ़ा न ही गैर जनपद के प्रत्याशियों ने इसे कोई तूल दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 08:56 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 06:27 AM (IST)
तीसरी बार घोसी में बाहरी होगा अंदर
तीसरी बार घोसी में बाहरी होगा अंदर

अरविद राय, घोसी (मऊ) :

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सत्रहवीं लोकसभा चुनाव के पूर्व ही 'बाहरी भगाओ मऊ बचाओ' का दिया गया नारा बेदम साबित हुआ। पृथक पूर्वांचल राज्य की तरह यह मुद्दा भी न तो मतदाताओं की जुबान पर चढ़ा न ही गैर जनपद के प्रत्याशियों ने इसे कोई तूल दिया। सोशल मीडिया से बाहर धरातल पर न उतरने का परिणाम यह कि किसी प्रत्याशी ने इस पर कोई सफाई देना मुनासिब समझा। इस बार जंग जीतने की कगार पर खड़े दोनों ही प्रत्याशी गैर जिलों के हैं। जाहिर है कि दारा चौहान की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जिले के मतदाता तीसरी बार बाहरी का वरण करेंगे।

घोसी लोकसभा क्षेत्र में प्रथम आम चुनाव से लेकर 1969 में हुए उपचुनाव और पांचवीं लोकसभा के गठन हेतु 1971 में हुए चुनाव में पं. अलगू राय शास्त्री, उमराव सिंह, जयबहादुर सिंह एवं झारखंडेय राय मऊ जनपद के ही निवासी रहे। 1977 के चुनाव में विजेता रहे शिवराम राय भले ही आजमगढ़ जिले के नागरिक रहे पर उन दिनों मऊ आजमगढ़ से पृथक नहीं था। लोकसभा चुनाव में प्रथम बार 2009 में गैर जिले के प्रत्याशी के रूप में बहुजन समाज पार्टी के दारा सिंह चुनाव जीते तो वर्ष 2014 में 16 वीं लोकसभा चुनाव के लिए हुई जंग में सपा ने बलिया के राजीव राय को तो भाजपा ने भी उसी जनपद के हरिनरायन राजभर को मैदान में उतारा। बहुजन समाज पार्टी ने आजमगढ़ के दारा सिंह चौहान पर दोबारा दांव लगाया। कौएद के मुख्तार अंसारी भी गाजीपुर जिले के निवासी रहे। इस चुनाव में भले ही भाजपा के हरिनारायण राजभर विजेता रहे पर प्रथम चार स्थानों पर गैर जिले के ही प्रत्याशी काबिज रहे। इस बार भी कांटे की टक्कर में जीते चाहे जो पर जंग में बलिया जिले के भाजपा उम्मीदवार हरिनारायण राजभर और गाजीपुर के गठबंधन प्रत्याशी अतुल राय के बीच ही है। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में इस क्षेत्र ने बाहरी को भी गले लगाया है पर दूसरे स्थान से आगे न जाने दिया। अलबत्ता विधानसभा चुनावों में कई बार बाहरी प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे। यहां के मतदाताओं ने 2009 के पूर्व कभी बाहरी को दिल्ली का टिकट नहीं थमाया था। 15वीं लोकसभा के चुनाव में दारा सिंह चौहान ने जिस मिथक को तोड़ जीत का कीर्तिमान बनाया उसे वर्ष 2914 में हरिनरायन राजभर ने आगे बढ़ाया। इस चुनाव के पूर्व ही बाहरी भगाओ मऊ बचाओ का नारा दिया गया पर इसे मतदाताओं ने स्वीकार नहीं किया। सोशल मीडिया तक ही सिमटा यह अभियान निष्प्रभावी साबित हुआ है। इस बार भी प्रथम दो स्थानों पर बाहरी के ही काबिज होना 23 मई को तय है।


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