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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिकी निगाहें, वंचितों में भी जगी उम्मीद

1995 के आधार पर हुए आरक्षण को हाईकोर्ट ने रद करते हुए 2015 ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 06:39 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 06:39 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिकी निगाहें, वंचितों में भी जगी उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिकी निगाहें, वंचितों में भी जगी उम्मीद

जागरण संवाददाता, मऊ : 1995 के आधार पर हुए आरक्षण को हाईकोर्ट ने रद करते हुए 2015 के आधार पर आरक्षण की अंतिम सूची जारी किए जाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद पंचायत चुनाव का रंग फीका पड़ गया है। हर किसी की नजर शुक्रवार को आने वाले सुप्रीम आदेश पर टिक गई है। वहीं पहले आरक्षण में अपने मुफीद हुए आरक्षण वाले लोगों को नई उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। प्रशासन जिले की 671 ग्राम प्रधान, लगभग 8000 ग्राम पंचायत सदस्य, 822 बीडीसी सदस्य एवं 34 जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव कराने की तैयारी युद्ध स्तर पर कर रहा है। 2015 के आधार पर अनंतिम सूची प्रकाशन में पड़ी आपत्तियों का निस्तारण कर प्रशासन अंतिम सूची का प्रकाशन शुक्रवार को करने वाला है। इस आरक्षण के आधार पर भावी उम्मीदवारों की नजर कोर्ट आदेश पर टिकी हुई है। पहले आरक्षण के दौरान गांवों में चुनावी पारा बढ़ा हुआ था पर कोर्ट में मामलों के जाने के बाद अब रंगत उतर सी गई है। अभी तक कोई दावेदार खुलकर सामने नहीं आ रहा। उनमें संशय है कि कहीं फिर कोर्ट वर्तमान आरक्षण को रद्द करते हुए दूसरे आरक्षण को भी न लागू कर दे। हालांकि प्रशासन 1995 व 2015 दोनों ही आधार पर आरक्षण तय कर चुका है। दोनों ही आरक्षण की अनंतिम सूची भी प्रकाशित हो चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही सबकी निगाहें लगी हुई हैं। विकास भवन से लेकर गांवों तक बस कोर्ट के आदेश पर ही विचार-मंथन चलता रहा। ठंडे हुए चूल्हे, प्रचार भी थमा

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दो मार्च को आरक्षण का अनंतिम प्रकाशन होने के बाद गांवों में भावी दावेदारों ने अपने दोनों हाथ खोल रखे थे। कहीं लंगर चल रहा था तो कहीं घर-घर की डेहरी पर शीश नवाए जा रहे थे। अचानक 12 की शाम आए कोर्ट के आदेश ने मानो प्रचार को ही थाम लिया हो। इसके बाद 15 मार्च को कोर्ट ने लागू आरक्षण को रद्द करते हुए 2015 को आधार माना। हालांकि इस आरक्षण के तहत भी लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं। आरक्षण मामले के कोर्ट के जाने के बाद मतदाताओं को लुभाने के लिए चल रहे लंगर थम गए तो अब प्रचार भी धीमा हो गया है। अब सबकी निगाहें कोर्ट के आदेश पर टिक गई हैं।


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