सहा हर मान-अपमान, पर बिटिया को बनाकर रहे पहलवान
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मऊ : अपने बेटे-बेटियों का कैरियर बनाने के लिए हर पिता क्या नहीं करता। अब रामनारायण यादव को ही लें, बेटे-बेटी में भेद न करते हुए इस पूर्व सैनिक ने दुबारा कोई नौकरी करने की बजाय उनका कैरियर संवारने पर ध्यान दिया। खुद पहलवान, पिता पहलवान थे, सो बेटे को भी पहलवान बनाने के लिए प्रशिक्षण दिलवाना शुरू किया। बेटी की रुझान भी खेल में देख उसे बाक्सिग के प्रशिक्षण के लिए भेजना चाहा तो बेटी ने अपनी तीन पीढि़यों का हवाला देते हुए खुद ही पहलवान बनने की इच्छा प्रकट कर दी। फिर क्या था, बिटिया के हौंसलों को परवान चढ़ाकर उसे मुकाम देने में जुट गए सरवां गांव निवासी रामनारायण। हरियाणा में प्रशिक्षण ले रहे बेटे की देखभाल के उसकी मां को भेज दिया तो खुद नाहर तेजबहादुर सिंह के अखाड़े में बिटिया को प्रशिक्षण देने के लिए उतर पड़े। इसके लिए उन्हें क्या कुछ नहीं सुनना-सहना पड़े। हर मान-अपमान सहा, पर बिटिया पूजा यादव को पहलवान बनाकर ही छोड़े। बिटिया ने जब दो बार प्रदेश चैंपियन का खिताब जीता तो ताने देने वालों के मुंह पर ताले लग गए। अपने संघर्षों को याद कर फौजी चट्टान का सीना रखने वाले पहलवान पिता की आंखें नम हो आती हैं।
रामनारायण याद करते हैं उन बीते पांच सालों की कथा तो अतीत में खो जाते हैं। बताते हैं कि उस समय बिटिया नौवीं की छात्रा थी। 13 वर्ष की उम्र में सेना से सेवानिवृत्ति लेकर मैं घर आ गया। बेटे को पहलवानी के आगे के प्रशिक्षण के हरियाणा भेज दिया। इधर जब बिटिया ने पहलवानी की इच्छा प्रकट की तो खुद ही उसका गुरु व कोच बनकर अखाड़े में उतर पड़ा। बेटी के साथ कुश्ती लड़ते देख गांव और समाज के लोगों ने क्या कुछ नहीं किया। परंतु अपने ²ढ़ निश्चय के धनी रामनारायण ने इसकी परवाह न की। बेटी को लेकर हरियाणा की नेशनल चैंपियन रही गीता फोगाट के पास भी पहुंचे कितु मुलाकात न हो सकी। फिर उसे भाई के साथ ही कासिम अली के अखाड़े में जालंधर छोड़ आए। खुद नेशनल चैंपियन रह चुके पिता ने खेल कोटे से ही सेना में नौकरी पाई थी। लोगों की जुबान उस समय बंद हो गई जब 2016 में रजत पाने वाली बिटिया ने 2017 और 2018 में बिटिया ने प्रदेश में गोल्ड मेडल हासिल किया। 2019 में नेशनल चैंपियन तो न बन सकी कितु हौंसले पस्त नहीं हुए हैं। फिलहाल भाई के साथ बेटी घर आई हुई है। सरवां अखाड़े में अभ्यास जारी है। रामनारायण उम्मीद जताते हैं इस बार उनकी तपस्या का फल मिलेगा और बिटिया के अतंरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रतिभाग के अवसर मिलेंगे।