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चुनावी शोर में दब गए करोड़ों के घोटाले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के दौरान पूर्व संप्रग सरकार के निर्मल भारत अभियान में करोड़ों रुपये के घोटाले की बू आने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 04:22 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 04:22 PM (IST)
चुनावी शोर में दब गए करोड़ों के घोटाले
चुनावी शोर में दब गए करोड़ों के घोटाले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के दौरान पूर्व संप्रग सरकार के निर्मल भारत अभियान में करोड़ों रुपये के घोटाले की बू आने लगी है। इसमें जहां दर्जनों ग्राम पंचायतों के खाते से शौचालय मद की धनराशि तो निकल गई परंतु धरातल पर शौचालय नहीं पाए गए। न ही नए ग्राम प्रधानों व सचिवों के पास कोई अभिलेख ही हैं। ऐसे में लगभग 250 ग्राम पंचायतें कार्रवाई की जद में हैं। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश बिदु ने जनपद के सभी ग्राम पंचायतों के स्टेटमेंट तलब किए थे। स्टेटमेंट की जांच करने के बाद घोटाला करने वाले पूर्व ग्राम प्रधानों व सचिवों पर एफआइआर दर्ज करने के निर्देश भी थे परंतु चुनावी शोर में करोड़ों के घोटाले के राज दफन हो गए।

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पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार के दौरान निर्मल भारत अभियान वित्तीय वर्ष 2012 से दो अक्टूबर 2014 तक लगभग 1,69,550 शौचालय ग्राम पंचायतों में बनाए जाने थे। इसके तहत केंद्र सरकार जहां निर्मल भारत अभियान के तहत 4600, मनरेगा यानि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 4500 रुपये दिए जाने का प्राविधान था जबकि 900 रुपये स्वयं लाभार्थी को लगाने थे। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने निर्मल भारत अभियान को स्वच्छ भारत मिशन में बदल दिया गया। ग्राम पंचायतों में जहां कुछ शौचालय निर्मल भारत अभियान के तहत बने तो कुछ स्वच्छ भारत मिशन के तहत। इसी दो वर्ष के कार्यकाल के बीच ग्राम पंचायतों ने अभियान में खेल किया। उस समय न तो इसका अंदाजा विभाग को ही था और नहीं प्रशासन को इसकी भनक ही लगी। इनसेट--

ऐसे हुआ था खुलासा

स्वच्छ भारत मिशन के तहत जनपद को किए जा रहे ओडीएफ के तहत गांवों में युद्धस्तर पर शौचालयों का निर्माण चल रहा था। प्रतिदिन इसमें लापरवाह ग्राम पंचायतों के प्रधानों व सचिवों की पेशी हो रही थी। जब जिलाधिकारी के समक्ष ग्राम प्रधानों व सचिवों से शौचालय के डिटेल्स तलब किए गए तो बहुत से प्रधान व सचिव स्वच्छ भारत मिशन का आंकड़ा तो प्रस्तुत किए परंतु निर्मल भारत का नहीं दे सके। जब कई ग्राम पंचायतों में ऐसे मामले आए तो प्रशासन के कान खड़े हो गए। तब प्रशासन ने माना कि कहीं न कहीं निर्मल भारत अभियान में कुछ गड़बड़ी हुई है। इनसेट--

पुराने शौचालय बने ओडीएफ के आधार

स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में बन रहे शौचालयों का निर्माण कराकर जल्द ओडीएफ करना है। इसमें सैकड़ों की तादाद में ऐसी ग्राम पंचायतें भी हैं जहां निर्मल भारत अभियान के तहत बने पुराने शौचालयों तथा निजी बने शौचालयों का रंग-रोगन कर मिशन में दर्ज कराया जा रहा है। ऐसी शिकायतें विभाग को मिली हैं। वर्जन--

खंगाले जा रहे एक-एक शौचालय

निर्मल भारत अभियान की पूरी डिटेल्स ग्राम पंचायतों से तलब की गई है। ग्राम पंचायतों के पासबुक व स्टेटमेंट मांगे गए हैं। कई ब्लाकों से स्टेटमेंट आ गई है। जांच कराई जा रही है, जिस ग्राम पंचायत के खाते से धनराशि निकली पाई गई और धरातल पर शौचालय नहीं मिले तो तत्कालीन प्रधान व सचिव पर एफआइआर की जाएगी।

-एसपी सिंह, डीपीआरओ, मऊ।


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