अतिक्रमण के चलते सीताकुंड के अस्तित्व पर संकट
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : नगर के बीचोबीच राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे तहसील मुख्यालय के
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : नगर के बीचोबीच राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे तहसील मुख्यालय के समीप 2.1870 हेक्टेयर में फैले सीता कुंड के गर्भ में तमाम रहस्य समाए हैं। विडंबना यह कि यह कुंड डेढ़ दशक से अतिक्रमण से कराह रहा है। दुखद यह कि अतिक्रमण के चलते सिकुड़ते कुंड को लेकर संघर्ष कर रहे चेहरे आज प्रदेश से लेकर केंद्र तक सत्ता से जुड़े हैं पर मौन हैं।
स्थानीय नगर में स्थित 195 सार्वजनिक पोखरियों में से तमाम का वजूद मिट चुका है तो कुछ अस्तित्व को संघर्ष कर रही हैं। सीताकुंड भी ऐसा ही जलाशय है जिसका आकार प्रतिवर्ष घटता जा रहा है। अतिक्रमण के साथ ही प्रदूषण इस की पौराणिक एवं धार्मिक महत्ता के कुंड को लील रहा है। इसके संबंध में तमाम ¨कवदंती एवं कथाएं प्रचलित हैं। इस कुंड के किनारे एक नहीं वरन दो सभ्यताएं पुष्पित और पल्लवित हुई हैं। इस कुंड ने नगर के उत्थान एवं पतन को देखा है। यह महज इतिहास का साक्षी नहीं, वरन पूरे क्षेत्र में सदियों से जल संरक्षण का भी एक महत्वपूर्ण साधन रहा है। दिनोंदिन घट रहा आकार
कहने को इसका रकबा राजस्व अभिलेख में भले ही 2.1870 हेक्टेयर अंकित है पर मौके पर कुंड काफी सिकुड़ गया है। इसके पश्चिमी किनारे सर्वाधिक अतिक्रमण हुआ है। किनारों पर कब्जा कर आलीशान भवन खड़े कर लिए गए हैं। अब अगर इसके शेष वजूद को न बचाया गया तो इसका आकार दिनोंदिन घटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। बीते वर्षों में वर्तमान विधायक एवं तत्कालीन मंत्री फागू चौहान, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष गायत्री जायसवाल, वर्तमान चेयरमैन वसीम एकबाल चुन्नू एवं तत्कालीन अधिशासी अधिकारी के सम्मिलित प्रयास से इसके सुंदरीकरण से काफी हद तक संरक्षण हुआ है। उत्तरी एवं पूर्वी दिशा से अतिक्रमण की संभावना समाप्त हो गई है पर पश्चिमी एवं दक्षिणी किनारे से अतिक्रमण बदस्तूर जारी है। हाल ही में कुंड की जमीन में निर्मित हो रहे एक भवन के विरुद्ध आवाज भी उठी पर नक्कारखाने में तूती साबित हुई।
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कहां गए वो लोग
कुंड के सिकुड़ते आकार को लेकर पैमाइश के लिए कभी वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता के नेतृत्व में भाजपा नेता जयप्रकाश ¨सह, अनिरुद्ध ¨सह, डा. नागेन्द्र ¨सह, डा. जयशंकर प्रसाद, खेदू प्रसाद मौर्य, वरुण दुबे, भानुप्रताप ¨सह, डा. ब्रजेश यादव, लक्ष्मी प्रसाद गुप्त, कृपाशंकर ¨सह, अजय वर्मा एवं जितेंद्र पटवा सहित विश्व ¨हदू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष नागेंद्र मद्धेशिया जीतू ने कई बार ज्ञापन सौंपा पर अब जबकि यह सभी लोग सत्ता से जुड़े हैं, लगभग मौन हैं।
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यह है महत्ता
सीता कुंड से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार कोढ़ रोग से पीड़ित सूर्यवंशी दानवीर प्रजा वत्सल राजा नहुष को ऋषियों ने 359 जलाशयों की खोदाई के बाद 360वीं के जल से स्नान करने के बाद रोग मुक्त होने का उपाय बताया। पोखरे में दक्षिण तरफ खोदाई के दौरान अचानक गर्म जलधारा निकली। इस गर्म जल से स्नान करते ही राजा नहुष रोग मुक्त हो गए। आज भी इस पोखरी में उक्त स्थान पर जल गर्म रहता है। वर्तमान में कूड़ा-करकट एवं जलकुंभी से पटी पोखरी में लोग स्नान कर चर्म व्याधि से मुक्ति पाते हैं। हालांकि वैज्ञानिक उक्त स्थल पर जल में सल्फर की मात्रा अधिक होने का तर्क देते हैं। आश्चर्य यह कि उक्त स्थान पर पानी गर्म पर समूचे जलाशय का जल बेहद शीतल होता है। इस पोखरी के किनारे लगे हैंडपंप गरमी के दिनों में किसी फ्रिज को फेल करते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार वनगमन के दौरान भगवान राम, अनुज लक्ष्मण एवं जगत जननी सीता संग यहां विश्राम किए थे। देवी सीता इसी पोखरी में स्नान करती थीं। इसके चलते इसका नाम सीताकुंड हो गया। यहां की तमाम पोखरियों का नाम तत्कालीन महापुरुषों के नाम पर रखा जाना इसकी प्रामाणिकता को संदेह से परे रखता है।