फसलों में रोग की आशंका, सतर्क रहें किसान
रबी सीजन में गेहूं दलहनी तिलहनी व आलू की फसल पर कई प्रकार के रोग प्रभावी हो जाते है

रबी सीजन में गेहूं, दलहनी, तिलहनी व आलू की फसल पर कई प्रकार के रोग प्रभावी हो जाते हैं। वर्तमान में मौसम में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में दलहनी व तिलहनी फसलों पर कई प्रकार के रोग लगने शुरू हो गए हैं। ऐसे में किसान अपनी फसल की बेहतर देखभाव व रखरखाव कैसे करें, यह बड़ा सवाल है। जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार ने फसलों के बेहतर प्रबंधन के उपाय सुझाएं हैं। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश..
प्रश्न : गेहूं की फसल में मामा कीट लगने और चौड़ी पत्ती वाले खर-पतवार निकल आने पर कैसे नियंत्रण करें?
उत्तर : मामा पर नियंत्रण के लिए आइसोप्रोट्यूरान 75 फीसदी डब्ल्यूपी की 1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर बोआई के 20 से 25 दिन बाद खेत में नमी की उपस्थिति में छिड़काव किया जाए। चौड़ी व संकरी पत्ती वाले खर-पतवार नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 75 फीसदी डब्ल्यू जी 33 ग्राम मात्रा एवं मैटसल्फ्यूरान मिथाइल 20 फीसद डब्ल्यूपी 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
प्रश्न : गेहूं की फसल में गेरुई रोग लगने पर किस प्रकार नियंत्रण करें?
उत्तर : गेहूं की फसल में मुख्यत: तीन तरह की गेरुई रोग लगते हैं। पीली, भूरी तथा काली गेरुई। इसमें पत्तियों पर फफोले पड़ जाते हैं तथा बिखरकर फसल के अन्य हिस्सों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके निदान के लिए जिरम 80 फीसदी, मैंकोजेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी की दो किलोग्राम की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाए तो इस रोग से बचा जा सकता है।
प्रश्न : सरसों की फसल को माहू कीट से कैसे बचाएं।
उत्तर : माहू कीट का प्रकोप सरसों की फसल पर हो गया है तो एजाडिरेक्टिन 0.15 फीसदी ईसी की 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव मशीन से किया जाए तथा रासायनिक नियंत्रण के लिए डाइमेथोएट 30 फीसदी ईसी अथवा क्लोरोपाइरिफास 20 फीसदी ईसी की 1.5 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से नियंत्रण हो जाएगा।
प्रश्न : आलू में झूलसा रोग लगने पर किसान क्या करें?
उत्तर : आलू में झूलसा रोग लगने की वर्तमान मौसमी परिस्थितियां अनुकूल हैं। इस पर नियंत्रण के लिए जिनेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी दो किलोग्राम अथवा कापरआक्सीक्लोराइड 50 फीसदी डब्ल्यूपी 2.5 किलोग्राम की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाए। साथ ही किसान पाले से बचाव के लिए खेत में नमी बनाकर रखें।
प्रश्न : फसलों में विभिन्न प्रकार के रोगों, कीटों से बचाव के लिए कृषि विभाग तक किस माध्यम से पहुंचा जाए?
उत्तर : कृषि रक्षा विभाग द्वारा सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली द्वारा कृषि विभाग में अपना पंजीकरण नंबर, अपना नाम, ग्राम, विकास खंड तथा जनपद का नाम लिखते हुए मोबाइल नंबर 9452247111 या 9452257111 पर एसएमएस या वाट्सअप पर फसल की फोटो भेजें। तो इस प्रणाली द्वारा समस्या का निदान त्वरित गति से कराया जाएगा।
नोट : अधिक जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9793253960 पर संपर्क करें।
Edited By Jagran