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सहमति पत्र बना रोड़ा, 225 ईंट-भट्ठों ने नहीं जमा की रायल्टी

नंबर गेम .... 351 जनपद में कुल ईंट-भट्ठे 127 सदर तहसील में 77 घोसी तहसील में 66

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 03:16 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 03:16 PM (IST)
सहमति पत्र बना रोड़ा, 225 ईंट-भट्ठों ने नहीं जमा की रायल्टी
सहमति पत्र बना रोड़ा, 225 ईंट-भट्ठों ने नहीं जमा की रायल्टी

नंबर गेम .... 351 : जनपद में कुल ईंट-भट्ठे

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127 : सदर तहसील में

77 : घोसी तहसील में

66 : मधुबन तहसील में

81 : मुहम्मदाबाद गोहना तहसील में जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सहमति पत्र न मिलने से अभी तक 225 ईंट-भट्ठा संचालकों ने अपनी रायल्टी जमा नहीं की है। ऐसे में प्रशासन की तरफ से इन सभी को नोटिस जारी की गई है। अगर यह समय से अपनी रायल्टी जमा नहीं कर पाते हैं तो इनके ईंट-भट्ठों का संचालन बंद कर दिया जाएगा। इसे लेकर ईंट-भट्ठा संचालकों में उहापोह की स्थिति है। ईंट-भट्ठा संचालक प्रदूषण बोर्ड से सहमति पत्र बनवाने के लिए आजमगढ़ मंडल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन सहमति पत्र नहीं बन पा रहा है। इससे रायल्टी प्रभावित हो रही है।

बढ़ते प्रदूषण से दूषित हो रही आबोहवा से 'सांसों की डोर' को बचाने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। आस-पास की आबोहवा को स्वच्छ बनाने के लिए अब ईंट-भट्ठों की चिमनियों को जिग जैग विधि से बनाने का फरमान जारी कर दिया गया है। यही नहीं 500 मीटर से एक किमी के दायरे में ही दूसरे ईंट-भट्ठा बनाने की अनुमति है। पहले यह 200 मीटर से लेकर 500 मीटर तक था। एक जिग जैग सिस्टम लगवाने के लिए करीब 50 लाख से अधिक का खर्च ईंट-भट्ठा संचालकों को करना पड़ेगा। अभी तक किसी भी ईंट-भट्ठा संचालक ने इस विधि से चिमनी नहीं बनवाई है। कुछ बनवाने को सोच रहे हैं लेकिन खर्च की वजह से उनके हाथ-पांव फूल रहे हैं। यही नहीं इस विधि से चिमनी बनवाने पर संचालक को शुरू के दिन से लगातार अंतिम दिन तक जेनरेटर की व्यवस्था करनी होगी। यह जेनरेटर चौबीस घंटे चलता रहेगा और तभी यह विधि सफल हो पाएगी। अगर यह सिस्टम लागू हो गया तो ईंटों के दाम काफी ज्यादा बढ़ जाएंगे। अब इस नई व्यवस्था को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से हर हाल में सहमति पत्र बनवाना है। बिना इसके किसी भी कीमत पर ईंट-भट्ठे नहीं चल पाएंगे। अधिकांश लोगों ने सहमति पत्र बनवाकर रायल्टी जमा कर दी है। कुछ लोग आवेदन भी कर चुके हैं। आवेदन करने के बाद लोग रायल्टी जमा भी कर दिए हैं। अभी तमाम ईंट-भट्ठा संचालक उहापोह में है।

नए विधि से सभी ईंट-भट्ठा संचालक प्रदूषण विभाग से सहमति पत्र बनवाकर रायल्टी जमा कर दें। रायल्टी जमा न करने वाले ईंट-भट्ठों का संचालन बंद कर दिया जाएगा। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

भानु प्रताप सिंह, एसडीएम मऊ


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