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सेफ्टी टैंक निर्मित शौचालय देख केंद्रीय टीम दंग

केंद्र सरकार की गठित एजेंसी क्यूसीआइ यानि क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया ने फतहपुर मंडाव ब्लाक में डेरा डाल रखा है। इससे जहां प्रशासनिक अधिकारियों में अफरा-तफरी है तो ग्राम पंचायतों में हड़कंप मचा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 05:36 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 05:36 PM (IST)
सेफ्टी टैंक निर्मित शौचालय देख केंद्रीय टीम दंग
सेफ्टी टैंक निर्मित शौचालय देख केंद्रीय टीम दंग

जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : केंद्र सरकार की गठित एजेंसी क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया ने फतहपुर मंडाव ब्लाक में डेरा डाल रखा है। इससे जहां प्रशासनिक अधिकारियों में अफरा-तफरी है तो ग्राम पंचायतों में हड़कंप मचा है। विकास खंड में टीम एक-एक गांवों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराए गए कार्यों व निर्मित शौचालयों की गुणवत्ता, पात्रता के साथ-साथ साफ-सफाई का जहां आंकलन कर रही है । वहीं ग्रामीणों से स्वच्छता का फीडबैक भी ले रही है। इसमें कई गांव केंद्रीय टीम के मानक पर खरे नहीं मिले हैं। कई गांवों में हालात ऐसे रहे कि बड़ी संख्या में सेफ्टी टैंक वाले शौचालयों का निर्माण करा दिया गया है, शायद इसी निर्माण के दम पर प्रशासन ऐसे गांवों को ओडीएफ करने की ओर लगातार अग्रसर है। दो दिनों में केंद्रीय टीम ने कुल पांच गांवों के फीडबैक तैयार कर लिए हैं। निरीक्षण में गांवों के मिले फीडबैक को लगातार केंद्र सरकार से साझा किया जा रहा है।

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फतहपुर मंडाव विकास खंड के गांवों को दो अक्टूबर के पहले ओडीएफ करने में जहां विकास खंड व प्रशासन लगा हुआ है वहीं केंद्रीय टीम के निरीक्षण से यह दिवास्वप्न साबित हो रहा है। शौचालयों की गुणवत्ता व पर्यावरण में शौचालयों की भूमिका की जांच करने पहुंची केंद्रीय टीम सेफ्टी टैंक वाले निर्मित शौचालय देखकर दंग है। अब प्रधान पुन: नए सिरे से ऐसे शौचालयों की जगह सोख्ता बनवाने की जुगत में लगे हैं। भारत सरकार की क्वालिटी कंट्रोल टीम द्वारा क्षेत्र के नौ गांवों में ओडीएफ के पूर्व निर्मित व निर्माणाधीन शौचालयों की जांच करके रिपोर्ट भारत सरकार को प्रेषित की जाएगी। इसमें बनपोखरा, लालनपुर, परासी नरहरपुर में तो शौचालय निर्माण व गुणवत्ता में तो कुछ गनीमत रही लेकिन तिनहरी व सिधा अहिलासपुर में बड़े पैमाने पर सेफ्टी टैंक वाले शौचालयों के भरोसे ओडीएफ करने की साजिश का खुलासा हुआ है। ऐसे शौचालय जहां पर्यावरण की ²ष्टि से घातक हैं वहीं इनमें अधिक पानी भी व्यय होता है। इन गांवों में शौचालय निर्माण की प्रगति भी काफी शिथिल मिली। हालांकि जांच टीम द्वारा पूरी जांच काफी गोपनीय तरीके से की जा रही है लेकिन मानक के विपरीत दिख रहे शौचालय के मिलने पर आने वाले समय में फतहपुर मंडाव विकास खंड के गांवों को दो अक्टूबर के पहले धरातल पर ओडीएफ करना संभव नहीं प्रतीत हो रहा है। वहीं मानक के विपरीत बने सेफ्टी टैंक वाले शौचालय की जगह प्रधान अब पुन: दो गड्ढ़े वाला सोख्ता बनवाकर अपना बचाव करने की जुगत करने में लगे है। इनसेट--

पर्यावरण के लिए घातक बनेंगे शौचालय

प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रशासन केवल एमआइएस (मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम) के भरोसे दो अक्टूबर से पूर्व गांवों को ओडीएफ यानि खुले में शौच मुक्त कर देगा। सच्चाई यह है कि किसी भी गांव में 30 प्रतिशत से अधिक शौचालय शायद ही बने हों। सीधे लाभार्थी के खाते में जा रही प्रोत्साहन राशि से अधिकतर गांवों में देखा जा रहा है कि बड़ी संख्या में सेफ्टी टैंक वाले शौचालय ही बनाए जा रहे हैं। ओडीएफ की आपाधापी में न तो प्रशासन ही निरीक्षण कर पा रहा है और न ही ग्राम पंचायतें ही देख पा रही है। सभी का ध्यान केवल यह है कि गांवों में संपूर्ण एमआइएस करा सभी लाभार्थी के खाते में प्रथम किस्त दे दी जाए, ताकि शासन को यह बताया जा सके कि सभी शौचालय निर्माणाधीन हैं। इसमें न तो इसका ध्यान रखा जा रहा है कि यह शौचालय आगे चलकर पर्यावरण के लिए खतरा बनेंगे।


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