पैदावार को कम करता है गाजर घास
जागरण संवाददाता मऊ आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा स
जागरण संवाददाता, मऊ : आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी में बुधवार को गाजर घास जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान 22 अगस्त तक चलने वाला इस कार्यक्रम में गाजर घास के दोष के बारे में किसानों को बताया गया ताकि वह उसके नुकसान से बच सकें।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने कहा कि गाजर घास जहां एक तरफ किसानों की पैदावार में कमी करके उन्हें आर्थिक क्षति पहुंचाता है वहीं दूसरी तरफ इसके संपर्क में आने से चर्म रोग जैसे अनेक दुष्प्रभाव भी होते हैं। यह खरपतवार गेहूं के साथ मेक्सिको से भारत पहुंचा और सबसे पहले महाराष्ट्र में देखे जाने के बाद लगभग पूरे देश में फैल गया। गाजर घास का एक पौधा 25000 तक बीज पैदा कर सकता है। यदि इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में यह भयावह रूप धारण करके अनेक बीमारियों का कारण बन सकता है।
वैज्ञानिक डा. वीके सिंह ने कहा कि गाजर घास के संपर्क में आने से मनुष्य और पशुओं के शरीर पर चर्म रोग हो जाता है। इससे पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। एसएन सिंह चौहान ने कहा कि गाजर घास के बीज बहुत हल्के तथा हवा द्वारा बहुत दूर तक आसानी से फैलकर बड़े हिस्से को प्रभावित करते हैं। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. अजीत सिंह वत्स ने बताया कि गाजर घास वर्ष भर में तीन-चार बार अपना जीवन चक्र पूरा करती है। इस प्रकार थोड़े ही समय में बड़े कृषि भूमि पर दिखाई देने लगती है।