हाइपोथर्मिया से नवजात को बचाव के लिए वरदान कंगारू मदर केयर
- वार्ड में रखे गए दस बेड शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार का प्रयास - नवजात का वजन
- वार्ड में रखे गए दस बेड, शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार का प्रयास
- नवजात का वजन ढाई किलों हो जाने पर बंद हो जाती है केएमसी
जागरण संवाददाता, मऊ : समय से पूर्व जन्मे नवजात यानी प्री-मेच्योर बेबी के बेहतर स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। कंगारू मदर केयर के जरिए प्री-मेच्योर शिशुओं को हाइपोथर्मिया अर्थात सामान्य से शरीर का तापमान कम होना या शरीर ठंडा पड़ना, वजन कम होना आदि परेशानियों से बचाया जा सकता है। इसके प्रयास से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। जिले में ऐसे नवजात का जिला महिला अस्पताल में इलाज किया जाता है, जहां एनआईसीयू वार्ड में दस बेड लगाए गए है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सतीशचंद्र सिंह ने बताया कि शिशु का तय समय से पहले जन्म और जन्म के समय वजन कम होना अक्सर देखा जाता है। यह शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कोमल और कमजोर होते हैं और उन्हें कई तरह की बीमारियां होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे शिशुओं को गहन देखभाल की जरूरत होती है जिसे कंगारू मदर केयर विधि से देखभाल कर ठीक किया जा सकता है। इस तकनीक में नवजात शिशु (बगैर कपड़े के साथ) को मां के सीने पर कंगारू की तरह अपने से चिपकाकर लिटाया जाता है। करीब एक घंटे रोजाना यह किया जाता है, ताकि शिशु को मां के शरीर की गर्माहट मिल सके। इसमें शिशु के हाथ-पैर व पीठ को साफ कपड़ों से ढकना चाहिए। इसमें शिशु को गर्माहट मिलती है और तापमान का संतुलन बना रहता है।
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डा. प्रवीण सिंह ने बताया कि केएमसी विधि से शिशु और मां दोनों को कई तरह के फायदे होते हैं। शिशु का तापमान जहां सही रहता है वहीं वह इंफेक्शन से भी दूर रहता है। कंगारू मदर देखभाल सिर्फ मां की ही नहीं बल्कि परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है। जब शिशु का वजन 2.5 किलो तक हो जाए तो केएमसी बंद कर सकते हैं। इसके अलावा जब भी मां बच्चे को केएमसी देने की कोशिश करे ओर बच्चा रोने लगे, असुविधा महसूस करे तब समझें कि केएमसी बंद करने का समय आ गया है। इस दौरान शिशु का महिलाओं को नियमित स्तनपान जारी रखना चाहिए।