अरबों खर्च फिर भी कटान से नहीं मिली निजात
जागरण संवाददातामऊ जनपद के उत्तरी छोर पर बह रही सरयू नदी की प्रलयंकारी विभीषिका से
जागरण संवाददाता,मऊ : जनपद के उत्तरी छोर पर बह रही सरयू नदी की प्रलयंकारी विभीषिका से लोगों की रूह कांप जा रही है। नदी सैकड़ों एकड़ किसानों की भूमि जहां लील रही है वहीं उनके आवास भी धारा में विलीन हो रहे हैं। हर वर्ष अरबों रुपये खत्म किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक कटान का स्थायी निदान नहीं हो पाया। इन दिनों देवारावासी सरयू नदी का कहर झेल रहे है। उधर, चार साल पूर्व तक बिदटोलिया गांव से लगभग चार किलोमीटर दूर सरयू नदी घरों की दहलीज तक पहुंच गई और केवटहिया, पंचपड़वा, बिदटोलिया बलुआ जैसे पुरवे पूरी तरह नदी में विलीन होकर अपना वजूद खो चुके हैं। आज यह तीनों पुरवे तहसील के नक्शे पर तो मौजूद हैं मगर धरती पर इनका कोई वजूद नहीं। नौ बड़ी ग्राम सभाएं एवं 50 से अधिक छोटे बड़े पुरवों पर खड़ा देवरांचल का यह इलाका शुरू से ही जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा है। यहां लोगों द्वारा बाढ़ से बचाव एवं कटान रोकने के लिए स्थायी ठोकर निर्माण की मांग पिछले कई सालों से चली आ रही है जो अब तक पूरी नहीं हुई्। इसी प्रकार दोहरीघाट में तमाम धार्मिक धरोहर कटकर नदी में विलीन हो गए। अब नदी श्मशानघाट व राम जानकी घाट को अपना निशाना बना रही है।
देवरांचल में सरयू नदी के कहर से सबसे अधिक देवारावासी प्रभावित रहे हैं। नदी के सबसे अंतिम छोर पर बसा बिदटोलिया गांव है। अगस्त माह से ही रुक-रुक कर कटान हो रही है। गांव स्थित एक आठ कमरों के विद्यालय सहित पांच पक्के मकान एवं 13 रिहाइशी मड़इकं अब तक पूरी तरह नदी में समा चुकी हैं। अभी एक सप्ताह पूर्व कटान की भेंट दो किशोरियां चढ़ गईं जिनका अब तक पता नहीं चला।
वर्तमान में हो रहे कटान को रोकने को लेकर किए जा रहे उपाय को लेकर प्रशासन पूरी तरह से असहाय बना हुआ है। सिचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता वीरेंद्र पासवान के अनुसार नए सिरे से प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा जा रहा है। दोहरीघाट व मधुबन में कार्य भी हुआ है लेकिन अभी पूरा नहीं हो पाया है।