गजब : डीएम दफ्तर से पूरे गांव की खतौनी ही गायब
जागरण संवाददाता मऊ मामला जिला अभिलेखागार का है जो जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित ह
जागरण संवाददाता, मऊ : मामला जिला अभिलेखागार का है जो जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित है। यहां जिलाधिकारी की नाक के नीचे से तहसील सदर के गांव रणवीरपुर की पूरी खतौनी ही गायब हो जाने का बड़ा मामला सामने आया है। कड़ी सुरक्षा, लोहे के दरवाजे, सीसीटीवी कैमरों और बड़े-बड़े तालों के बावजूद यह घटना आश्चर्यजनक है।
इस संबंध में ग्राम प्रधान सुनील कुमार सिंह ने बताया कि गांव की चकबंदी 2007 में पूरी हुई। धारा 52 के प्रकाशन के बाद वर्ष 2007 में ही सभी अभिलेख जमा किए जा चुके थे। चकबंदी के बाद जब गांव में भू-माफियाओं ने सरकारी जमीनों पर धड़ल्ले से कब्जा करना और फर्जी आदेशों के बल पर अपना दावा करना शुरू किया तो गांववालों ने इसे रोकने के लिए प्रपत्रों की खोज शुरू की। ग्रामीण जब भी गांव में हो रही कब्जेदारी से खफा होकर अभिलेखागार से आकार पत्र 23 भाग 3 की खतौनी की नकल मांगते, उन्हें टरका दिया जाता। अंतत: सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने जब इस मामले में पड़ताल शुरू की और इसे लेकर जब अभिलेखागार के प्रभारी पर दबाव बनाया तो बीते 08 सितंबर को उसने लिखकर दे दिया कि आकार पत्र 23 भाग 3 की खतौनी गांव के बस्ते में उपलब्ध ही नहीं है। यह जानकारी होते ही ग्रामीणों सन्न रह गए। इस घटना में भू-माफियाओं और अभिलेखागार कर्मियों के बीच सांठगांठ की की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ग्राम प्रधान के साथ पहुंचकर उन्होंने जिलाधिकारी से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की है। आकार पत्र 23 भाग (3) में होता है सार्वजनिक भूमि का विवरण
गांवों में चकबंदी प्रक्रिया के दौरान सार्वजनिक हितों के भूखंड छोड़े जाते हैं, इनमें स्कूल, देव स्थान, खेलकूद के मैदान, चरागाह, धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों के लिए स्थल, सड़क, नाली, खड़ंजे आदि के लिए भूमि का चिह्नांकन कर उसे आकार पत्र 23 भाग (3) में दर्ज किया जाता है। जबकि भाग आकार पत्र 23 भाग (1) खतौनी में ग्रामीणों के व्यक्तिगत भूखंडों के आवंटन का विवरण दर्ज होता है। चकबंदी के पूर्ण होने के बाद खसरा 41, 45 बनाने के बाद उसे अंतिम रूप देने के बाद जब शासन और राजस्व विभाग की स्वीकृति की मुहर लग जाती है तो धारा 52 का प्रकाशन होता है।
वर्जन--
रणवीरपुर गांव की खतौनी गायब होने का मामला संज्ञान में आया है। यह गंभीर मामला है, इसकी जांच के लिए हमने मुख्य राजस्व अधिकारी को नियुक्त किया है। शीघ्र ही जांच कर वे अपनी रिपोर्ट देंगे, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
-ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी, जिलाधिकारी, मऊ।